Dil Kya Kare
Jatin-Lalit
4:28अब नाम मोहब्बत के इल्ज़ाम तो आया है अब नाम मोहब्बत के इल्ज़ाम तो आया है तुम जो भी सज़ा दे दो, सर हमने झुकाया है तुमने ही हँसी दी थी, तुमने ही रुलाया है तुमने ही हँसी दी थी, तुमने ही रुलाया है क्या प्यार में सोचा था, क्या प्यार में पाया है क्या प्यार में पाया है तुम जो भी हमें समझो पर तुमको सदा सराहेंगे हम बेगुनाह जो हमें ठहराएँ लफ़्ज़ ऐसे कहाँ पाएँगे हम उम्मीद ना थी इसकी, जो सामने आया है तुम जो भी सज़ा दे दो, सर हमने झुकाया है सर हमने झुकाया है एक प्यार के मुजरिम से उल्फ़त भी करें तो कैसे करें? तुम्हें टूट के चाहा था नफ़रत भी करें तो कैसे करें? जो पार हमें करता, उसने ही डुबाया है क्या प्यार में सोचा था, क्या प्यार में पाया है अब नाम मोहब्बत के इल्ज़ाम तो आया है तुम जो भी सज़ा दे दो, सर हमने झुकाया है सर हमने झुकाया है, सर हमने झुकाया है