Mukhtalif (Feat. Bohemia)
Yas The Underdog
4:30तारएके मई बैठा हैं लेखे ये वर्स मैने बारे बारएके सई खुद को सेखा रहा जेने क सारे तरएक़े सालेक़े सई लफ़ज़ो के आमद , कानो मई सुनो मई धंमे सई जलाने चला नक़्शे जो भे बने मेरे दिल के देवरो पाई सूफ़ी सा बंदा मई दर्द ओ ज़माने सई तंग आके बैठा मैखनो मई एसस्स आवारा को काइया है ग्वारा मुहल्लो मई गुज़रे ये शामे क्यू तनो मई बक़े गुणनाहो को चोर , आज कल तो आता ये गानो मई लहज़ा ना समझे ये बंदे उलझे परे मेरे सवालो मई एल्म के तलब मई तालेब एल्म खरा क़तारो मई उल्जह सा रहता सवालो मई अंधेरो मई जुगनो वो धोंड़ो पर बैठा ग्वारो मई नियत पाई डरो मदर आमलो कई वफान केसे होंगे केमिल ंझी मुख़लिस ना मिला कोई सालो मई ना मुमकिं लगे दिल मई बसा जो वो दिल मई बसा ले उजरा सा रहता हूँ खुशियोइं सई दामन पाकर वो घूम हे भुला दे गुमराह है मंज़िल कोई रह देखा दे झूता ये जाग लगे , टूटे से दिल को बना क तू रूठा माना ले सोडा ए वफ़ा मई हम देते नई लारे भुला के रॅम्से हम क़समेय नेभते झूते वादान तेरे लेके ये ज़िंदगी केसे संभाले खुशयीऔन सई वाक़िफ़ ज़माना ये घूम को काइया जाने अब हेरात से होती जुब मिली कोई मोक़ा खुशी का ये ज़ालिम ज़माना काइया समझे गा घूम वो जो खुद पाई ना बेटा भोल हे ना पॉन मंज़र ए मयत जो आँखो नई देखा ाश्क़ो सई पन्ने ये गेले मई क़लम सई लेखों हर ये लफ्ज़ ये संजेडा दूण्या क मसले कराडे ये जुर्म मा के कोक सई मैने सेखा अर्ज़े दूण्या , ना कोई किसी का पेखा सा लगे ये जाग शमो मई डोबे ये मान मेरा भेगा .. घमो पाई ताज़कराई होते काइया आलम है मंज़र काशी का तसाउर कारों नक़्शे बैठा फिर लेखों मई बन क मुसव्विर हाल हू मई कल क ये बेटे कल्चर जो टीवी पाई देख के तो सेखे वो सा हूँ मई जेके मेखनो मई कारों मई ज़या ये टली हो जाते जो पेके सूखे नई ज़ख़्म ये ताज़ा सेहे से पन्ने है भेगे ज़ाबो सई भरे है नोट पर हाथो मई पैसे नई टेके ला हासिल से हसरत मई माँगो वो शे नई जो पैसो मई बेके आते जाते आते मेरे मूड स्विंग्स नशे मई ढुद होके लूज़िंग मी थिंग्स चारे नई गंजा भाई पोर मे सम ड्रिंक्स खुद क ज़मीर सई हे आते हैं घिंन्न्न् खुद क अईबो को छुपा को नबेना सई बन क गुज़रे हम जिंद गुज़रे ना शामे ना लगे ये दिल एक उमेर सई मौत के रहो मई बैठा मई जीनो ये दिन! एक उमेर सई मौत के रहो मई बैठा मई जीनो ये दिन