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Yashraj - Musafir | Скачать MP3 бесплатно
Musafir

Musafir

Yashraj

Альбом: Takiya Kalaam
Длительность: 2:59
Год: 2022
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Текст песни

She's faced the hardest times, you could imagine
She's faced the hardest times...
Yeah, yeah, yeah, yeah

क्यूँ मुसाफ़िरों में ढूँढे ख़ामियाँ तू?
गूँजे वादियों से लोग सर-ए-आम, तू हैरान-परेशान क्यूँ?
हाँ, मुसाफ़िर हूँ मैं, जानता, क़ाबिल हूँ मैं
जीतना ज़ाहिर तो फ़िर छोड़ दूँ अंजाम, पहले जान, तू अंजान नहीं

मुँह चला रहा, वो आवारा, जो भी बोला, बनता नारा
जो पिटारा बिन सहारा खुला, बोलता ही जा रहा
पहला गाना लिखा, सोचा, ये मैं हूँ ही नहीं
फाड़े पन्ने भड़ास में, वो बोल मुझे छुए नहीं

पहचान में नहीं आ रहा, वो सामने कौन है आईने में?
घाटे में ईमान, अगर लिख रहा तू फ़ायदे से
मायने समझ तू, अपने बोल के सारे परदे खोल दे
सामने होगें दस या हज़ार, बस तू बोल
(बोल, बोल, बोल, बोल, बोल, बोल, बोल)

लड़का वो मोटा सा, बैठा सा जभी school में
लिखता किताबों के पीछे ना कभी भूल से
हरकतें ऐसी, ग़लत चीज़ों से मशहूर थे
तजुर्बे की कोई बात नहीं, बस ख़ुद से क़ाफ़ी दूर थे

दूसरी में हिंदी fail है, अब आके वो पढाए पाठ
पहले था बड़ा ही शांत
बज रहे हैं अब कढ़ाई साथ
कैसी ये लड़ाई, मेरे भाई? बस एक ही सवाल

क्यूँ मुसाफ़िरों में (क्यूँ? क्यूँ?) ढूँढे ख़ामियाँ तू? (हाँ, ढूँढे ख़ामियाँ तू?)
गूँजे वादियों से (woo) लोग सर-ए-आम, तू हैरान-परेशान क्यूँ? (क्यूँ?)
हाँ, मुसाफ़िर हूँ मैं (हाँ, मुसाफ़िर हूँ मैं), जानता, क़ाबिल हूँ मैं (जानता क़ाबिल हूँ मैं)
जीतना ज़ाहिर तो फ़िर छोड़ दूँ (yeah) अंजाम (yeah), पहले जान (yeah), तू अंजान नहीं (yeah)

मुसाफ़िरों की आदतें अजीब सी
ना एक जगह ठिकाना, सब छोड़ेंगे बस नसीब पे ही
इसका मतलब नहीं कि करे नहीं कर्म
तेरी ये खोखली इमारतें बना देते घर

पर शायद तुझे लगा मुँह पे हँसी है बहुत (yeah)
इसको तो मिला सब आसानी से, ये लिखना बस शौक (yeah)
मैं कहता, आँखों के सामने जब जीते तुम ख़ौफ़ (yeah)
तभी तो लगते सारे hard rapper काफ़ी हैं soft

मैं हँसता मुँह पे (yeah-yeah)
पूछे, कैसे छीनेंगे से असलियत? (हाँ)
Rapper ज़्यादा दोस्त नहीं
But जो भी है, they call me up (सच)

ऐसा ना कोई पैदा हुआ
जिसकी पूरी साफ़ नीयत (सच)
तो मैं भी जानता
कौन है मेरे भाई और बाक़ी जो भी हो, हाँ

ये सर में छपते ज़िंदगी के पन्ने और हम लिखते जाते
फिर उन्हीं पन्नों पे हो दस्तख़त और बिक के खाते
वो टूटे वादे बस गुज़रने पे ही
लौट आने से अच्छा कि जीते जी तुम कर लो बातें

आज तेरे सामने खड़ा हूँ
मुझे कल का पता नहीं
हमारी नयी शुरुआत है
या मेरी आख़िरी कहानी?

आज तेरे सामने खड़ा हूँ
मुझे कल का पता नहीं
हमारी नयी शुरुआत है
या मेरी आख़िरी कहानी?

आज तेरे सामने खड़ा हूँ