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Afkap - Rukawat | Скачать MP3 бесплатно
Rukawat

Rukawat

Afkap

Альбом: Parat
Длительность: 2:58
Год: 2023
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Текст песни

रुकावत के लिए खेद है
अरे सुन जानी
क्या तू सुन रही
सुनने को मेरे पे लेख है
समय बन रहा है
हम भी किनारे पे देख रहे
देख रहे कौन कौन
ला रहे अभी लहर है
तुम्हें जाना था मेरे नंगे में
वाइब करनी अभी बंद नहीं
ऐसे जीने का मेरे को शौक नही
पलकें ना साफ कर
चुभी जो बात तुझे
उनका एहसास कर
अगर ये आंखें खुली हैं
उनको तू नम्म कर
फोन पर बातें खुली हैं
उनको तू बंद कर
क्या खुद से ही खफा है
जो चाहा वो बोला नहीं
अनदेखा करके अभी
इस मौसम को बोला सही
ये हवा ना चली तेज़
ये चाटा भी टूटी नहीं
ये बारिश के पीछे आने वाली
आंधी लगे अभी झूठी नहीं
मुझे पता नहीं
तेधी बातें
वो दिल की बातें
माई बोला गया
उसने सुनी नहीं
वो आज गई
मेरे साथ नहीं
थोरा फर्क पड़ा
कोई बात नहीं
देखा नहीं
पास में पैसा नहीं
काश ये ना होता ख्वाब
जो सपनों के पीछे दौड़े
उनके पैरों पर लगी है आग
माई अपनी धुन में गुन घुंटे हुए
चला गया बेकार
राहों पे, मैं खो गया तो पीछे कभी मुड़ा नहीं
मन माई दबा रक्खा जो जहर वो तूने उगला ही
टूट गया खींच तो जुदा नहीं
अब दिए की आग में
घर की ही याद है
धुए की सास मेई
डर है समुंदर की दूरी से
दिलों के बढ़ जायफ फासले
और वो दो दो नये दोस्त
जो पिछले साल मिले थे
उनकी वजह से ही आज
ये गाना अब लिखा है
उनकी वजह से ही आज
ये गाने अब निकले हैं
और फिर मैं जब घर पे गया
बॉम्बे में सुनी आवाज
सब बोले गली गिरोह
सपने सच हो रहे यहां आज
वापिस आने की तो मेरी भी चाह
पर अभी कंधों पर भार है
मुझे पता नहीं यहां जैसा