Waapsi
Afkap
3:14रुकावत के लिए खेद है अरे सुन जानी क्या तू सुन रही सुनने को मेरे पे लेख है समय बन रहा है हम भी किनारे पे देख रहे देख रहे कौन कौन ला रहे अभी लहर है तुम्हें जाना था मेरे नंगे में वाइब करनी अभी बंद नहीं ऐसे जीने का मेरे को शौक नही पलकें ना साफ कर चुभी जो बात तुझे उनका एहसास कर अगर ये आंखें खुली हैं उनको तू नम्म कर फोन पर बातें खुली हैं उनको तू बंद कर क्या खुद से ही खफा है जो चाहा वो बोला नहीं अनदेखा करके अभी इस मौसम को बोला सही ये हवा ना चली तेज़ ये चाटा भी टूटी नहीं ये बारिश के पीछे आने वाली आंधी लगे अभी झूठी नहीं मुझे पता नहीं तेधी बातें वो दिल की बातें माई बोला गया उसने सुनी नहीं वो आज गई मेरे साथ नहीं थोरा फर्क पड़ा कोई बात नहीं देखा नहीं पास में पैसा नहीं काश ये ना होता ख्वाब जो सपनों के पीछे दौड़े उनके पैरों पर लगी है आग माई अपनी धुन में गुन घुंटे हुए चला गया बेकार राहों पे, मैं खो गया तो पीछे कभी मुड़ा नहीं मन माई दबा रक्खा जो जहर वो तूने उगला ही टूट गया खींच तो जुदा नहीं अब दिए की आग में घर की ही याद है धुए की सास मेई डर है समुंदर की दूरी से दिलों के बढ़ जायफ फासले और वो दो दो नये दोस्त जो पिछले साल मिले थे उनकी वजह से ही आज ये गाना अब लिखा है उनकी वजह से ही आज ये गाने अब निकले हैं और फिर मैं जब घर पे गया बॉम्बे में सुनी आवाज सब बोले गली गिरोह सपने सच हो रहे यहां आज वापिस आने की तो मेरी भी चाह पर अभी कंधों पर भार है मुझे पता नहीं यहां जैसा