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Afkap - Kasam | Скачать MP3 бесплатно
Kasam

Kasam

Afkap

Альбом: Parat
Длительность: 2:49
Год: 2023
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Текст песни

सच बोल ये आवाज सुनने को तुम भी तरसे ना
अभी खोल ना दरवाजे हो रहे हैं मेरे चर्चे ना
तेरी खामोशी को टूटने में लगे जो गांड ना
अगर ख़ुशी है कबूल तो ना ढूंढूं मुझे इन माफ़ी के पीछे अभी
कैसे बताऊं क्या हो रहा है क्योंकि अभी
टिप टिप नंगे से ना पानी
चाँद से पूछा तुम क्यों आये अभी
उसने बोला ये तो होना ही है था
क्यों जाने देते हैं अपने साए नहीं
हां मैना बोला शाम जब भी ढले
मुझे रात लम्बी लगे
और कोहरा सा चाए तभी
तकिया जो सर को
पर सोया नहीं जाए
क्यूं की कान खराब होता है तभी
वो बोले गए, ये एक रात में सटकी नहीं
ये किश्तों में कांड तुम कर गए
मिलने जाते हाथ वही काटने चले गए
जो बड़े होते गए वो लंगटे चले गए
हा रखना है याद घर बार में पल गए
देखे मां बाप जो आस में लगे रहे
बिचाने बैठे खाट और रख में चले गए
औलाद की औकात को नापते चले गए
दबाये अपने दर्द और पलटते चले गये

तो बोतलें टूटी यहां पे अभी आदतें गंदी है पकड़ी
करू आंखें बंद तो फिर लगे बाला ताली गै
और तू भी अभी
उसकी पलकें अब साफ कर
दीए तूने कश्त अब उनका एहसास कर
वो भी तुझे घूरे आज
तू धुए मेई चुपके
कैसे ढूंढता है अपनी ये राह अब
बचपन
की यादें अब तसवीरों में हैं कैद
तो फासले बढ़ गए
गड़े हुए मुर्दे भी जान छिड़कने लगे
जो खादी की दीवार तुम फाँदने चले गए
बताता नहीं
हुं
पर सच बोलु
तोह उडे मात्र
पर नहीं
उदी बास नींदे
और आंखें नहीं होती मेरी नाम पर ठीक है
कलाम ने मेरी बड़े कुएं अभी देखे हैं
बस घर ही आता ख़ुशी के नसीब में
मां का पहला वीजा लग गया मेरी
अब एक आस सी जगी है
और एक आग भी लगी है
आग भी लगी हैं