Hans Ke Jaane De
Amit Trivedi
3:36मन पतंगा उड़ के फिर से तेरी लौ से आ मिला पा के तुझको फिर चला है राहतों का क़ाफ़िला ओ, राहतों का क़ाफ़िला, ये ख्वाहिशों का सिलसिला हुई ये कैसे इन लकीरों की मेहरबानियाँ के देने लगा इश्क़ फिर हसीन परेशानियाँ हुई ये कैसे इन लकीरों की मेहरबानियाँ के देने लगा इश्क़ फिर हसीन परेशानियाँ मन थका था, अधपका था ख़ुद में बाँधे सब रखा था तू मिला तो आस लौटी है हो, उड़ना चाहे, जीना चाहे सारे ग़म हैं पीना चाहे तू मिला तो प्यास लौटी है मन मलंगा चल के फिर से तेरी चौखट आ गिरा खो के सुध-बुध बस निहारे तेरी सूरत, सरफिरा हाँ, देखे सूरत सरफिरा ये, हो के कैसा बावरा मैं देखूं तुझे भर के आँखों में सौ हैरानियाँ के देने लगा इश्क़ फिर हसीन परेशानियाँ हुई ये कैसे इन लकीरों की मेहरबानियाँ के देने लगा इश्क़ फिर हसीन परेशानियाँ (परेशानियाँ) मेहरबानियाँ, मेहरबानियाँ कि देने लगा इश्क़ फिर हसीन परेशानियाँ मेहरबानियाँ, हैरानियाँ कि देने लगा इश्क़ फिर हसीन परेशानियाँ