Faasle
Anand Bhaskar Collective
6:25कब से आस लगाए बैठा हूँ मैं तेरी राहें रूठ गईं हैं कोई मंज़िल ना रही मन में पीड़ उठी है इस बिरहा का अंत नहीं गर मैं ये भूल भी जाऊँ याद रहेंगे मुझको नैना नैना नैना नैना नैना तेरे दो नैना नैना जब यादें बह जाती हैं बन कर बूँदें नैनों से तन्हाई छा जाती है सब बन जाते ग़ैरों से (ग़ैरों से) जाने फ़िर कब आएँगी वो रातें चैन की अश्कों से नम हैं जो वो यादें हैं चुभ रहीं बस ये अलफ़ाज़ ही हैं जो हैं सारा अब मेरा इनको 'गर भूल भी जाऊँ याद रहेंगे मुझको नैना नैना नैना नैना नैना तेरे दो नैना नैना