Jaan Nisaar (Arijit)
Arijit Singh
3:59इन वादियों में टकरा चुके हैं हमसे मुसाफ़िर यूँ तो कई दिल ना लगाया हमने किसी से किस्से सुने हैं यूँ तो कई ऐसे तुम मिले हो ऐसे तुम मिले हो जैसे मिल रही हो इत्र से हवा काफ़िराना सा है इश्क है या क्या है ऐसे तुम मिले हो ऐसे तुम मिले हो जैसे मिल रही हो इत्र से हवा काफ़िराना सा है इश्क है या क्या है ख़ामोशियों में बोली तुम्हारी कुछ इस तरह गूंजती है कानो से मेरे होते हुए वो दिल का पता ढूंढती है बेस्वादियों में बेस्वादियों में जैसे मिल रहा हो कोई ज़ायका काफ़िराना सा है इश्क है या क्या है ऐसे तुम मिले हो ऐसे तुम मिले हो जैसे मिल रही हो इत्र से हवा काफ़िराना सा है इश्क हैं या क्या है ला ला ला ला आहा हा आहा गोदी में पहाड़ियों की उजली दोपहरी गुज़रना हाय हाय तेरे साथ में अच्छा लगे शर्मीली अंखियों से तेरा मेरी नज़रें उतरना हाय हाय हर बात पे अच्छा लगे ढलती हुई शाम ने बताया है की दूर मंजिल पे रात है मुझको तसल्ली है ये के होने तलक रात हम दोनों साथ है संग चल रहे हैं संग चल रहे हैं धुप के किनारे छाव की तरह काफ़िराना सा है इश्क हैं या क्या है हम्म ऐसे तुम मिले हो ऐसे तुम मिले हो जैसे मिल रही हो इत्र से हवा काफ़िराना सा है इश्क हैं या क्या है