Zara Zara
Bombay Jayashri
4:59खुल के मुस्कुरा ले तू, दर्द को शर्माने दे बुंदों को धरती पर साज एक बजाने दे खुल के मुस्कुरा ले तू, दर्द को शर्माने दे बुंदों को धरती पर साज एक बजाने दे हवाएं कह रही हैं हवाएं कह रही हैं, आजा झूले जरा गगन के गाल को जाकर छूले जरा खुल के मुस्कुरा ले तू, दर्द को शर्माने दे बुंदों को धरती पर साज एक बजाने दे झील एक आदत है, तुझमें ही तो रहती है और नदी शरारत है, तेरे संग बहती है उतार ग़म के मोड़े, ज़मीन को गुनगुनाने दे कंकरों को तलवों में गुदगुदी मचाने दे हवाएं कह रही हैं हवाएं कह रही हैं, आजा झूले जरा गगन के गाल को जाकर छूले जरा बंसीरी की खिड़कियों पे सुर ये क्यों ठिठकते हैं आंख के समंदर क्यों बेवजह छलकते हैं तितलियां ये कहती हैं, अब बसंत आने दे जंगलों के मौसम को बस्तियों में छाने दे हवाएं कह रही हैं हवाएं कह रही हैं, आजा झूले जरा गगन के गाल को जाकर छूले जरा खुल के मुस्कुरा ले तू, दर्द को शर्माने दे बुंदों को धरती पर साज एक बजाने दे