Baatein
Censor
2:53अधूरा प्यार लेकर दिल में अपने सो गया और सपनों में तेरी गोद में सिर रख रो गया मुझको एहसास था तू वापस मुड़ने वाली नहीं तू मेरी रूह पर भी अब हक़ तेरे उस रब का हो गया कहते मोहब्बत यहाँ मिलती किस्मत वालों को मैं हूँ बदक़िस्मत, दफ़ना दो मेरे सवालों को कहते मोहब्बत में ना देखी जाती सूरत दिल तोड़ने का हक़ क्यों दिया तूने हुस्न वालों को आज भी हाँ दोस्त तेरे बारे मुझसे पूछते वो मेरे फोन में तस्वीरें तेरी ढूंढते मैंने बताया उनको हम दोनों रहते साथ नहीं वो कहते कर मज़ाक, पर सच से वाक़िफ़ बात नहीं अब क्या जवाब दूं, फंसा हूँ कश-म-कश में तेरी मर्ज़ी या खुदा की थी, खुद से पूछूं मैं जिसकी भी हो मर्ज़ी, टूटा तो अंदर से ही मैं सुनके आबो भी रो पड़े, महफ़िल में आँसू बरसे हैं एक दिन बाज़ार में चला मैं, काम से यूँ ही देखा तुझे हंसते हुए, किसी और की कार में नज़रें मिलीं हमारी उस भीड़ भरे बाज़ार में उसी दिन बादल भी रोए, देख मुझे इस हाल में अब किसी और के साथ तू, घर बसा बैठी है मेरे दिल से दूर, किसी और के दिल में रहती है जो करता होगा उसके जिस्म की नुमाइश रोज और मेरे दिल में आग उसकी घर करके बैठी है पर क्या ही कर सकता हूं डूबते को किनारा नहीं ये सच्ची बातें सारी है कहानी कोई बना र नहीं आई नो मुझ पे हंसने वाले भी मिलेंगे बहुत बस मानो मोहब्बत में चलता कोई सितारा नहीं मैं सच कहूं तो हां अभी उसके प्यार में लिखने बैठा हूं पन्नों पे करके उसका दीदार मैं घर वालों को छोड़ परवाह किसी की भी नहीं सच्ची मोहब्बत उसी से वैसे चेहरे हजार हैं अब मेरे जहन में कोई भी शोर नहीं सुनती वो गाने मेरे रोज पर वो करती गौर नहीं ले गई हसीन चुरा के मेरी पर वो कोई चोर नहीं जिसमें मुकम्मल हो इश्क ऐसा कोई दौर नहीं कोई भी ऐसा दौर नहीं रिश्तों की डोर छोड़ के वो मुझसे दूर दौड़ गई मिली वो वापस नहीं शायद दुनिया ये साली गोल नहीं दुनिया ये साली गोल नहीं मुझ पे इल्जाम है मेरे जमीर का ये मुझ पे इल्जाम है खुश है तू दूर होके क्या तुझे आराम है बोल ना जाने जा क्या अब तुझे आराम है मुझ पे इल्जाम है मेरे जमीर का ये मुझ पे इल्जाम है खुश है तू दूर होके क्या तुझे आराम है बोल ना जाने जा क्या अब तुझे आराम है