Manzar Naya
Farhan Akhtar
3:30एक बात होंठों तक है जो आई नहीं बस आँखों से है झाँकती तुम से कभी, मुझ से कभी कुछ लफ़्ज़ है वो माँगती जिनको पहन के होंठों तक आ जाए वो आवाज़ की बाँहों में बाँहें डाल के इठलाए वो लेकिन जो ये एक बात है, अहसास ही अहसास है खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती खुशबू जो बेआवाज़ है जिसका पता तुम को भी है जिसकी ख़बर मुझ को भी है दुनियाँ से भी छुपता नहीं ये जाने कैसा राज़ है