Zindagi Kya Hai
Jagjit Singh
4:57मुझको भी तरकीब सीखा कोई यार जुलाहे अक्सर तुझको देखा है की ताना बुनते जब कोई तागा टूट गया या ख़तम हुआ फिर से बाँध के और सिरा कोई जोड़ के उसमे आगे बुनने लगते हो तेरे इस ताने में लेकिन इक भी गाँठ गिरह बुनतर की देख नहीं सकता है कोई मैंने तो इक बार बुना था एक ही रिश्ता लेकिन उसकी सारी गिरहें साफ़ नज़र आती हैं मेरे यार जुलाहे मुझको भी तरकीब सिखा कोई यार जुलाहे