Shiv Sama Rahe

Shiv Sama Rahe

Hansraj Raghuwanshi

Альбом: Shiv Sama Rahe
Длительность: 5:34
Год: 2021
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Текст песни

ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ

क्रोध को, लोभ को...
क्रोध को, लोभ को मैं भस्म कर रहा हूँ

शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय
शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय

ब्रह्म मुरारी सुरार्चित लिङ्गं निर्मल भाषित शोभित लिङ्गं
जनमज दुख विनाशक लिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिव लिङ्गं
ब्रह्म मुरारी सुरार्चित लिङ्गं निर्मल भाषित शोभित लिङ्गं
जनमज दुख विनाशक लिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिव लिङ्गं

तेरी बनाई दुनिया में कोई तुझ सा मिला नहीं
मैं तो भटका दर-ब-दर, कोई किनारा मिला नहीं

जितना पास तुझ को पाया
उतना खुद से दूर जा रहा हूँ

शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय
शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय

मैंने खुद को खुद ही बाँधा अपनी खींची लकीरों में
मैं लिपट चुका था इच्छा की ज़ंजीरों में
अनंत की गहराइयों में समय से दूर हो रहा हूँ
शिव प्राणों में उतर रहे, और मैं मुक्त हो रहा हूँ

वो सुबह की पहली किरण में, वो कस्तूरी वन के हिरण में
मेघों में गरजे, गूँजे गगन में, रमता जोगी, रमता मगन मैं
वो ही वायु में, वो ही आयु में, वो ही जिस्म में, वो ही रूह में
वो ही छाया में, वो ही धूप में, वो ही है हर एक रूप में

ओ, भोले, ओ

क्रोध को, लोभ को...
क्रोध को, लोभ को मैं भस्म कर रहा हूँ

शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय
शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय