Unke Dekhe Se
Jagjit Singh
3:41दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सई फ़र्मावेंगे क्या ज़ख़्म के भरने तलक नाख़ून न बढ़ जायेगे क्या हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा-ओ-दिल फ़र्श-ए-राह हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा-ओ-दिल फ़र्श-ए-राह कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या गर किया नासेह ने हम को क़ैद अच्छा यूँ सही ये जुनून-ए-इश्क़ के अन्दाज़ छुट जावेंगे क्या ख़ानाज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ हैं ज़न्जीर से भागेंगे क्यों हैं गिरफ़्तार-ए-वफ़ा ज़िन्दाँ से घबरावेंगे क्या है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त असद है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त असद हम ने ये माना कि दिल्ली में रहे खावेंगे क्या