Sooraj Ki Garmi Se
Sharma Bandhu
6:25जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया भटका हुआ मेरा मन था कोई, मिल ना रहा था सहारा भटका हुआ मेरा मन था कोई, मिल ना रहा था सहारा लहरों से लड़ती हुई नाव को लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा मिल ना रहा हो किनारा उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया शीतल बने आग चंदन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी राघव कृपा हो जो तेरी उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी जो थी अमावस अंधेरी युग युग से प्यासी मरूभूमी ने जैसे सावन का संदेस पाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो, उस पर कदम मैं बढ़ाऊँ जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो, उस पर कदम मैं बढ़ाऊँ फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊँ फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊँ मैं ना कभी डगमगाऊँ पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया