Matlabi (Feat. Jokhay)
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3:12तुम पे एक और नज़्म लिखी बोलो क्या उन्वान रखूँ तुम आने की आवाज जो दो मैं भारी दस्तरखान रखूँ तुम बोलो जी जी भर के जो अब तुम पे ही ध्यान रखूँ चंद लम्हों की ना बातें ये मैं रातें ना आसान रखूँ तुम पे एक और नज़्म लिखी बोलो क्या उन्वान रखूँ तुम आने की आवाज जो दो मैं भारी दस्तरखान रखूँ तुम बोलो जी जी भर के जो अब तुम पे ही ध्यान रखूँ चंद लम्हों की ना बातें ये मैं रातें ना आसान रखूँ तुम मेरे लिखे गीतों की लोगो से जाकर जो युँ तुष्टी पूछती हो तुम समझो सभी लेकिन फिर भी कहीं बैठी पहेलियाँ बूझती हो तुम अभी भी वही हो, अभी भी वही हो या फिर कोई दूसरी हो शूज, कार्स मेरी समझ से पर तुम कैसी चीज़ें पूजती हो दिल में लगे हुए शामियाने कोई रुख़्सती या मातम पुराने दिल में छुपा क्या रब ही जाने मुझे पता मेरे गीत मेरे काम नहीं आने लेकिन! आते बाज कहाँ हैं अब बच्चे राज कहाँ हैं मिलते मिजाज़ कहाँ हैं हुआ आग़ाज़ कहाँ है काफी सफर और भारी अबर दूर है मंजिल लंबा यह रास्ता है You can make a lie or call in sick! वैसे भी हफ्ता है We go on n on! I got everything किसी चीज़ का नहीं मसला है जाने हर एक पहलू ज़िन्दगी ने हमें हर जगह परखा है अब दुनिया एक दरगाह है सिर्फ रब को ही सजदा है चीज़ों में देखूं सोडे किसमें क्या क्या बचता है और इतना तो बनता है इतना ही बनता है ज़िन्दगी एक धंधा है रिज़्क भी बंधा है कोई हो बच्चा जैसे वो हँसता है अब दिल नाज़ुक है अब दिल डरता है अब तुम पे ये शेर लिखे हैं जल्दी में थे, देर लिखे हैं खुशियाँ बांटने बैठे तेरे हिस्से देखो, देर लिखे हैं रातें हो गईं लंबी हम भी फिर भी क्यों ये सवैर लिखे हैं हम सब फेयर लिखे हैं आउट ऑफ केयर लिखे हैं तुम पे अब ये नज़्म लिखी बोलो जो उन्वान रखूँ तुम बोलो या ना बोलो फिर भी तेरा मैं यूँ मान रखूँ सुनता सब तेरे दिल की देखो कैसा मैं भी कान रखूँ तुम आते हो या खुद को खुद ही तेरा मैं मेहमान रखूँ कमरे में बोतलें हैं सब कुछ कितना बिखरा है आँखें नहीं अब खुलती पूरी सब कुछ धुंधला दिखता है तुम पे हर एक लफ्ज़ पिरोया, तुम पे हर एक फिकरा है दिल तो बच्चा दिल बे काबू देखा दिल क्या लिख रहा है