Moochile Theeyumaay
Kailash Kher
3:10जल रहीं है चिटा साँसों में है धुँआ फिर भी आस मन्न में है जगी भोर होगी क्या कभी यहाँ पूछती यही ये बेड़िया देख तोह कौन है यह महिष्मती साम्राज्यं सर्वोत्तम अजेयम दसो दिशाएं आठेयम सब इसको करते प्रणाम खुश हाली वैभवशाली समृद्धिया निराली धन्य धन्य है यहाँ प्रजा शक्ति का यह स्वर्ग था घन गरज जो कीर्ति की यहाँ दिग दिगंत में है कहाँ शीश तोह यहाँ झुका ज़रा यशश्विनी है यह धरा माहिष्मती की पताका सदा यूँही गगन चूमे अश्व्दो और सूर्य देव मिलके स्वर्ग सिंहासन विराजे