Yun Toh Naadan
Kavita Seth
6:56ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल ग़म मुसाफ़िर था जाने दे धूप आँगन में आने दे जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल तलवों के नीचे है ठंडी सी एक धरती कहती है आजा दौड़ेंगे यादों के बक्सों में ज़िन्दा सी खुशबू है कहती है सब पीछे छोड़ेंगे उँगलियों से कल की रेत बहने दे आज और अभी में खुद को रहने दे कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल एक टुकड़ा हसीं चख ले इक डली ज़िन्दगी रख ले जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल हिचकी रुक जाने दे सिसकी थम जाने दे इस पल की ये गुज़ारिश है मरना क्यों जी लेना बूंदों को पी लेना तेरे ही सपनों की बारिश है पानियों को रस्ते तू बनाने दे रोशनी के पीछे खुद को जाने दे कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल