Lag Ja Gale Se Phir
Lata Mangeshkar
4:18कैसे देखु मेरी आँखो के बहुत पास हो तुम कैसे देखु मेरी आँखो के बहुत पास हो तुम कैसे देखु मेरी आँखो के बहुत पास हो तुम तुमको महसूस ही करता हू के एहसास हो तुम महके रहते हो मेरे जिस्म मे देखु कैसे कोई उम्मीद हो जैसे कोई विषवास हो तुम कैसे देखु मेरी आँखो के बहुत पास हो तुम तुमको छूने से घनी छाँव का मस मिलता है तुमको छूने से घनी छाँव का मस मिलता है और होठो से कटे चाँद का रस मिलता है ढूंढते रहने से मिलता नही कोई तुमसा तुमसा मिल जाए तो किस्मत से ही बस मिलता है महके रहते हो मेरे जिस्म मे देखु कैसे गूँजती रहती हो तुम सांसो मे खुसबु की तरह गूँजती रहती हो तुम सांसो मे खुसबु की तरह और आँखो से हसीन चेहरा पढ़ा करते है हमने तो आँखो से अब सुन ने की आदत कर ली और होठों से सांस गिना करते है महके रहते हो मेरे जिस्म मे देखु कैसे कोई उम्मीद हो जैसे कोई विषवास हो तुम कैसे देखु मेरी आँखो के बहुत पास हो तुम तुमको महसूस ही करता हू के एहसास हो तुम कैसे देखु मेरी आँखो के बहुत पास हो तुम