Mere Bina
Kshmr
3:28हा हा हा हा खोया साथ लगे खोया सब पर ये आँखें कभी रोई नहीं (रोई नहीं) उठाए जोखिम हमने रोज़ ही नए (रोज़ ही नए), जब थी खाने को रोज़ी-रोटी नहीं (रोटी नहीं) मिली इज्ज़त, मिली ताकत पर तलाशा मैंने चैन थोड़ा जब ना मिला वो ही कहीं (कहीं नहीं) खोजा ख़ुद में भी और खोजा जग (खोजा जग), ख़ुद की खामियाँ पर खोजी नहीं (खोजी नहीं) ये माया का है मोह नहीं सही (मोह नहीं सही) ये माया का है मोह नहीं सही (मोह नहीं सही) खोया प्यार, इसमें खोया सब (खोया सब) पर ये आँखें कभी रोई नहीं, रोई नहीं (Yeah, yeah) क्या है सही और है गलत क्या? (क्या?) मुझे नहीं पता है फ़रक क्या (कुछ नहीं) बस देखा अपनों को सोते भूखे पेट और जानता होता वो दर्द क्या चुकाए जो सर थे कर्ज़े मेरे जो जीता नहीं मैं वो शर्त क्या? (क्या?) इस हार और जीत के बीच में रहता खौफ़ मेरा, आजाये अंत ना दिखे बस कोहरा आगे, लगे खुदको ही खो रहा मैं (खो रहा मैं) क्या था मैं पहले और क्या बन गया मैं? करें ये इज्ज़त मेरी या करें ये दया मुझको देख के (देख के) चोटी पे हूँ खड़ा मैं पर जा रही ज़मीन ये पैरों के नीचे से फ़िसल इस माया के जाल से चाहूँ के जाऊँ मैं निकल रहती है अपनों की जानों की फ़िकर (फ़िकर) नींदें हराम, करूँ मैं शांत कैसे सर में चलती आवाज़ों को? (चुप) होने नहीं देता कभी नम इन आँखों को पर कैसे बदलूँ मैं अब इन हालातों को? (कैसे?) करने हैं पूरे कुछ अधूरे ख्वाबों को कैसे चलाऊँ मैं वापस से थमी उन साँसों को? खोया साथ लगे खोया सब पर ये आँखें कभी रोई नहीं (रोई नहीं) उठाए जोखिम हमने रोज़ ही नए (रोज़ ही नए), जब थी खाने को रोज़ी-रोटी नहीं (रोटी नहीं) मिली इज्ज़त, मिली ताकत पर तलाशा मैंने चैन थोड़ा जब ना मिला वो ही कहीं (कहीं नहीं) खोजा ख़ुद में भी और खोजा जग (खोजा जग), ख़ुद की खामियाँ पर खोजी नहीं (खोजी नहीं) ये माया का है मोह नहीं सही (मोह नहीं सही) ये माया का है मोह नहीं सही (मोह नहीं सही) खोया प्यार, इसमें खोया सब (खोया सब) पर ये आँखें कभी रोई नहीं, रोई नहीं (Yeah, yeah, yeah) मुझे लगता था हूँ मैं शापित (श्राप) फ़िर पता चला के मैं ख़ुद ही हूँ श्राप (श्राप) कितने जो खड़े ख़िलाफ़ (श्राप), है मेरी संगत ख़राब (श्राप) था मेरा मत्था ख़राब, जो खींचा तुझे भी इस दलदल में, ख़तरों से भरे इस जंगल में (जंगल) है मेरा कसूर, जाने दिया तुझे घर वापिस अकेले उस रात ये जान के भी की हो रही gun तेरी जाम (जाम) और दुश्मन ने कर दिया जंग का ऐलान पर ना था जानता मैं होगी मेरी किस्मत इतनी ख़राब के उसी दिन तेरी जान के आएँगे पीछे वो करते वार भी जो पीछे से गीदड़ ये पंटर गली के थे जब से हुई ज़िंदगी बेहतर अपनी, साले, जलते तभी से थे (तभी से थे) आया भाभी का call, तू घर पे आया नहीं लौट के आ पाता जब तक समझ के हुआ क्या है, तब तक हो चुकी थी बहुत देर उसने तो दे भी दी माफ़ी , पर ना कर पाता मैं खुद ही को माफ़ टूट गया अंदर से मैं भी जब हाथों में मेरे तोड़ी तूने साँस खोया साथ लगे खोया सब पर ये आँखें कभी रोई नहीं (रोई नहीं) उठाए जोखिम हमने रोज़ ही नए (रोज़ ही नए), जब थी खाने को रोज़ी-रोटी नहीं (रोटी नहीं) मिली इज्ज़त, मिली ताकत पर तलाशा मैंने चैन थोड़ा जब ना मिला वो ही कहीं (कहीं नहीं) खोजा ख़ुद में भी और खोजा जग (खोजा जग), ख़ुद की खामियाँ पर खोजी नहीं (खोजी नहीं) ये माया का है मोह नहीं सही (मोह नहीं सही) ये माया का है मोह नहीं सही (मोह नहीं सही) खोया प्यार, इसमें खोया सब (खोया सब) पर ये आँखें कभी रोई नहीं, रोई नहीं खोया साथ लगे खोया सब पर ये आँखें कभी रोई नहीं उठाए जोखिम हमने रोज़ ही नए, जब थी खाने को रोज़ी-रोटी नहीं मिली इज्ज़त, मिली ताकत पर तलाशा मैंने चैन थोड़ा जब ना मिला वो ही कहीं खोजा ख़ुद में भी और खोजा जग, ख़ुद की खामियाँ पर खोजी नहीं हाँ