Saajna
Falak Shabbir
4:42पलके जीएन कैसे आँखों बिना मुमकीन है यह क्या हो मेरे खुदा क्यूँ साँस लूँ यूँही बस बेवजह रिहा कर मुझे मेरे दर्द से ज़रा दिल जो इबादत करे इश्क़ की तो मरके भी ज़िंदा रहें आशिकि जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही ओ ओ ओ ओ ओ आ आ आ ओ आ तू नही तो लग रहे हैरात जैसे दिन आँखों के मौसम है भीगे आज तेरे बिन तू जुदा तो रुक गयी है सीनें मे साँसे कही हाथों से बिछड़ी लकीरे कह रही हैं बस यहीं दिल जो इबादत करे इश्क़ की तो मरके भी ज़िंदा रहे आशिकि जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही ह्म जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही जुनूनियत है यही