Gulaab
Mitraz
2:50सोचते हैं जब भी तेरे बारे में सुबह से शाम हो जाती है करवटें ही लेते लेटे लेटे दिल को बस याद तेरी आती है सुनी रातें हैं ना जाने कैसे दिल को मैं संभालूं सुबह के इंतज़ार में ये पलकें मेरी खिड़की पे राहें तेरी देखूं क्यूँ बाकी हैं रातों की नींदें अभी क्यूँ खलती है दिल को तेरी आशिकी अगर प्यार की बातें करते हो तो करो देर ना अब चले आओ भी ये भोर जाने कब हुई पढ़ते हुए वो लफ़्ज़ तेरे ये ओस होठों पे गिरी मुझको लगा तुम छू रहे थे खुली आँखें तो ये जाने हम के सपने ही थे वो अधूरे हैं अभी तो आके फिरसे बैठो पास मेरे कुछ तो बताओ क्यूँ बाकी हैं रातों की नींदें अभी क्यूँ खलती है दिल को तेरी आशिकी अगर प्यार की बातें करते हो तो करो देर ना अब चले आओ भी क्यूँ बाकी हैं रातों की नींदें अभी क्यूँ खलती है दिल को तेरी आशिकी अगर प्यार की बातें करते हो तो करो देर ना अब चले आओ भी