Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin

Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin

Mohammed Rafi

Длительность: 3:37
Год: 1952
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Текст песни

कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं

मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ
मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ
कैसे कह दूँ गम से घबराता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं

कल तो सब थे, कारवाँ के साथ साथ
कल तो सब थे, कारवाँ के साथ साथ
आज कोई राह दिखलाता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं

ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो
ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो
इस में अब कुछ भी नज़र आता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं
कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं