O Duniya Ke Rakhawaale
Mohammed Rafi
6:17सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे जहां की रुत बदल चुकी ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे नज़ारे अपनी मस्तियाँ लुटा लुटा के सो गए सितारे अपनी रोशनी दिखा दिखा के सो गए हर एक शम्मा जल चुकी ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे तड़प रहे हैं हम यहां तड़प रहे हैं हम यहां तुम्हारे इंतज़ार में तुम्हारे इंतज़ार में ख़िज़ा का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में ख़िज़ा का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में मौसम-ए-बहार में हवा भी रुख बदल चुकी ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे