Kabhi Khusiyon Ki Sargam
Mohammed Aziz
7:32सा रे ग म ध प ग रे सा रे ग म ध प ग रे सा रे ग म ध प ग रे सा रे ग म ध प ग रे अपनी आँखों के सितारों में छुपा ले हमदम प्यार के गाँव में घर अपना बना ले हमदम अपनी आँखों के सितारों में छुपा ले हमदम प्यार के गाँव में घर अपना बना ले हमदम प्यार के गाँव में घर अपना बना ले हमदम अपनी आँखों के सितारों में छुपा ले हमदम जमाना छोड़ के एक तुझ से मोहबात की है मैंने चाहा ही नहीं तेरी इबादत की है मैंने चाहा ही नहीं तेरी इबादत की है में तो सजदे में पड़ा हु तू उठा ले हमदम में तो सजदे में पड़ा हु तू उठा ले हमदम प्यार के गांव में घर अपना बना ले हमदम अपनी आंखों के सितारों में छुपा ले हमदम (अपनी आंखों के सितारों में छुपा ले हमदम) आ आ आ आ आ आ आ (आ,आ,आ) मैं किस ज़ुबाँ से कहूँ तू मुझे क्या लगता है कसम ख़ुदा की मुझे तू ख़ुदा सा लगा है कसम ख़ुदा की मुझे तू ख़ुदा सा लगा है तू ख़ुदाई की तरह दिल में बसा ले हमदम तू ख़ुदाई की तरह दिल में बसा ले हमदम प्यार के गाँव में घर अपना बना ले हमदम अपनी आँखों के सितारों में छुपा ले हमदम (अपनी आंखों के सितारों में छुपा ले हमदम) लोग जन्मों के निभाने की बात करते हैं प्यार में मिटने मिटाने की बात करते हैं प्यार में मिटने मिटाने की बात करते हैं जो हो सके तो इस जनम में निभा ले हमदम जो हो सके तो इस जनम में निभा ले हमदम प्यार के गाँव में घर अपना बना ले हमदम (प्यार के गाँव में घर अपना बना ले हमदम) अपनी आँखों के सितारों में छुपा ले हमदम (अपनी आंखों के सितारों में छुपा ले हमदम) आ आ आ आ आ आ (आ आ आ आ)