Ehsan Tera Hoga Mujh Par
Mohammed Rafi
3:27न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-गुबार हूँ न किसी की आँख का नूर हूँ न तो मैं किसी का हबीब हूँ न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ जो उजड़ गया वो दयार हूँ न किसी की आँख का नूर हूँ मेरा रंग-रूप बिगड़ गया मेरा यार मुझसे बिछड़ गया जो चमन फ़िज़ां में उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ न किसी की आँख का नूर हूँ पए-फ़ातेहा कोई आये क्यूँ कोई चार फूल चढ़ाये क्यूँ कोई आ के शम्मा जलाये क्यूँ मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ न किसी की आँख का नूर हूँ