Maine Tere Liye
Mukesh
3:07कई बार यूँ भी देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है अनजानी प्यास के पीछे अनजानी आस के पीछे मन दौड़ने लगता है राहों में, राहों में, जीवन की राहों में जो खिले हैं फूल, फूल मुस्कुरा के कौन सा फूल चुरा के रखूँ लूँ मन में सज़ा के कई बार यूँ भी देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है अनजानी प्यास के पीछे अनजानी आस के पीछे मन दौड़ने लगता है जानूँ ना, जानूँ ना उलझन ये जानूँ ना सुलझाऊँ कैसे कुछ समझ ना पाऊँ किसको मीत बनाऊँ किसकी प्रीत भुलाऊँ कई बार यूँ भी देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है अनजानी प्यास के पीछे अनजानी आस के पीछे मन दौड़ने लगता है