Kahin Door Jab Din Dhal Jaaye (From "Anand")
Mukesh
3:23ज़ुबान पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ज़ुबान पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई बहार आने से पहले फ़िज़ा चली आई ज़ुबान पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई ख़ुशी की चाह में मैं ने उठाये रज बड़े ख़ुशी की चाह में मैं ने उठाये रज बड़े मेरा नसीब की मेरे कदम जहां भी पड़े ये बदनसीबी मेरी भी वहां चली आई ज़ुबान पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है न हमसफ़र है कोई और न कोई मज़िल है ये ज़िन्दगी मुझे लेकर कहाँ चली आई ज़ुबान पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई बहार आने से पहले कहिजां चली आई ज़ुबान पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई