Jai Kaashipati Vishwanath Jai Mangalmay
Nitin Mukesh
5:19नारद, ब्रह्मा और लक्ष्मी की हट को श्रीपति ने जान लिया माया को शिव पर आजमाने उनके कहने को मान लिया प्रभु ने मन में ठान लिया, शक्ति का परिचय करवा दूँ शिव क्या हैं इनको पता नहीं, प्रत्यक्ष मैं इनको दिखला दूँ तत्काल बुलाया माया को, बोले, "कैलाश चली जाओ जितने भी गण हैं शंकर के, तुम उनमें वहाँ समा जाओ" नारद बोले, "माया जी, कुछ ऐसी रचना हो जाए कैलाश में हलचल मच जाए शंकर चक्कर में पड़ जाए" माया का अहम हूँकार उठा, "मैं शिव को नाच-नचा दूँगी कैलाशपुरी मैं हुई ना हो, वो भगदड़ आज मचा दूँगी" विधि के विधान को जान हरि ने मन में हर को नमन किया नारद, ब्रह्मा और लक्ष्मी को माया के संग में पट्ठा दिया माया के संग में पट्ठा दिया, माया के संग में पट्ठा दिया सुनो-सुनो, सुनो-सुनो, शिव-शक्ति व्रत की पावन पर्व कहानी है सुर, नर, मुनी, ब्रह्मा, विष्णु ने महिमा हर की बखानी है ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय फिर स्वयं गरुड़ पर हो सवार... फिर स्वयं गरुड़ पर हो सवार केशव कैलाश पधार गए नंग-धड़ंगे बैठे भोले प्रभु ध्यान में मगन भये (बम भोले, बम भोले) गिरिजापति ने देखा प्रभु को, सर्पों से बदन लपेट लिया तत्काल उठे आगे बढ़कर बारंबार प्रणाम किया मायावश शिव के नाग गरुड़ को देख के बाँबी में भागे बाघम्बर लिपटाया हर ने और खड़े हुए हरि के आगे माया ने अमृत वर्षा की बाघम्बर बना बाघ बन का जिसको देख भगे नंदी जी, भटक गया वाहन शिव का उसको देख भगे गण सारे, जहाँ-तहाँ भूत-पिशाच पुकारे चारों ओर मची हलचल, सब रहे अपनी जान बचारे डर से मोर उड़े हैं फर-फर, कार्तिक जी भी घबराए अवसर देख भगे मूषर जी, गणपति जी को लुढ़काए कौतुक देख विचित्र भवानी मुस्काई मुख आँचल डारे शंकर समझ गए सब रचना, खेल हैं ये माया के सारे खेल हैं ये माया के सारे, खेल हैं ये माया के सारे सुनो-सुनो, सुनो-सुनो, शिव-शक्ति व्रत की पावन पर्व कहानी है सुर, नर, मुनी, ब्रह्मा, विष्णु ने महिमा हर की बखानी है ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय