Das Haasil Sau Baaki - Acapella

Das Haasil Sau Baaki - Acapella

Papon, Shashwat Singh, Nikhita Gandhi, And Arjun Chandy

Длительность: 3:13
Год: 2025
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Текст песни

आँख लगी, ख़्वाब आया
आँखें खुलीं, घबराया
कुछ खट्टा, कुछ मीठा
कोई राज़ी, कोई रूठा
दस हासिल, सौ बाकी
ये मंज़िल ना काफी
इस पल ये, उस पल वो
कुछ बिखरा, कुछ टूटा
सब कुछ मिला है, कुछ ना गिला है
फिर भी यक़ीनन दिल में तड़पती ख़ला है
ग़ज़ब मरहला है
क्या ताना-बाना, समझा ना जाना
अक्सर अमूमन चढ़ते ही सूरज ढला है
ग़ज़ब मरहला है

प, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र
प-र-र-र-र-र-रा-नि
र, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र
प-र-र-र-र-र-रा-नि
र, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
प-र-र-र-र-र-रा-नि (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
र, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
प-र-र-र-र-र-रा-नि (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)

चलता रहा, मुड़ता रहा
हैं यहाँ थोड़ा-थोड़ा हर रास्ता
वो कौन था, ये कौन था
क्यों मिला, तेरा मेरा क्या वास्ता
ये सक्के, ये चक्कर, है नून-शक्कर
ग़ोया मिज़ाजन बढ़ा और घटा फ़ासला है
ग़ज़ब मरहला है
ये जीवन का पहिया, है फिर घूमे भैय्या
मसलन उसूलन रुकने से चलना भला है
ग़ज़ब मरहला है
आँख लगी, ख़्वाब आया
आँखें खुलीं, घबराया
कुछ खट्टा, कुछ मीठा
कोई राज़ी, कोई रूठा