Hanuman Chalisa Superfast
Brijesh Shandilya
4:17नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल । स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।। ॥ दोहा ॥ नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी । भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविद्या वरदानी ।। 2।। अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा । स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।3 ।। स्वर्णाभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे । तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।। 4 ।। भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई । तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।। 5 ।। तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी । छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।। 6 ।। सकल शक्तियां तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे । दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।।7 ।। दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिह्वा कीलक सघाता । साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता ।।8 ।। मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी । तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी ।।9 ।। अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुद्धि नाश कर कीलक तन को । हाथ पांव बांधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।10 ।। चोरों का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे । अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे ।।11 ।। मूठ आदि अभिचारण संकट. राजभीति आपत्ति सन्निकट । ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे ।। 12 ।। सुमरित राजव्दार बंध जावे, सभा बीच स्तम्भवन छावे । नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।। 13 ।। सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी । स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक ।।14 ।। तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें । शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता ।।15 ।। यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता । पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी ।।16 ।। जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई । आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो ।।17 ।। पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूं निहोरी । मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया ।।18 ।। जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुं निवारा । नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता ।।19 ।। सौम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता । रौद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिह्वा में मुद्गर मारो ।।20 ।। नमो महाविद्या अगारा, आदि शक्ति सुन्दरी अपारा । अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।।21 ।। रिद्धि-सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल । मेरी सब बाधा हरो, मां बगले तत्काल ।।22