Aigiri Nandini

Aigiri Nandini

Rajalakshmee Sanjay

Альбом: Aigiri Nandini
Длительность: 15:02
Год: 2014
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Текст песни

अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुते
गिरिवर विंध्य शिरोधिनि वासिनि विष्णु विलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हेषिति कंठ कुटुंबिनि भूरि कुटुंबिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शंकरतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिंधुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि जगदंब मदंब कदंब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरिशिरोमणि तुंगहिमालय श्रृंगनिजालयमध्यगते
मधुमधुरे मधुकैटभगंजिनि कैटभभंजिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि शतकंड विखंडितरुंड वितुंडितशुंड गजाधिपते
रिपुगजगंड विदारणचंड पराक्रमशुंड मृगाधिपते
निजभुजदंड निपातितखंड विपातितमुंड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुर विचारधुरीण महाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते
दुरित दुरीहदुराशय दुर्मति दानवदूतकृतांतमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि शरणागतवैरिवधूवर वीरवराभयदायकरे
त्रिभुवन मस्तकशूलविरोधि शिरोधिकृतामल शूलकरे
दुमि दुमि तामर दुंदुभिनाद महो मुखरीकृत तिग्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि निजहुंक्रतिमात्र निराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते
शिव शिव शुंभ निशुंभ महाहव तर्पित भूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

धनुरनुसंग रणक्षणसंग परिस्फुरदंग नटत्कटकै
कनक पिशंगपृषत्क निशंग रसद्भट श्रृंग हतावटुके
कृतचतुरंग बलक्षितिरंग घटद्बहुंरंग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

जय जय जप्य जय जय शब्दपरस्तुति तत्पर विश्वनुते
भण भण भिंजिमि भिंकृतनूपुर सिंजितमोहित भूतपते
नटितनटार्ध नटीनटनायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर कान्तियुते
श्रित रजनी रजनी रजनी रजनी रजनीकर वक्त्रवृते
सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

सहित महाहव मल्लम तल्लिक मल्लित रल्लक मल्लरते
विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक भिल्लिक भिल्लिक वर्ग वृते
सितकृत पुल्लिसमुल्लसितारुण तल्लज पल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अविरलगंडगलन्मदमेदुर मत्तमतंगज राजपते
त्रिभुवनभूषणभूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहनमन्मथ राजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

कमलदलामल कोमलकांति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलीचलत्कल हंसकुले
अलिकुल संकुल कुवलय मंडल मौलिमिलद्भकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

करमुरलीरववीजितकूजित लज्जितकोकिल मंजुमते
मिळित पुलिंद मनोहर गुंजित रंजितशैल निकुंजगते
निजगुणभूत महाशबरीगण सद्गुणसंभृत केळितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयूखतिरस्कृत चंद्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौळिमणिस्फुरदंशुलसन्नख चंद्ररुचे
जितकनकाचल मौळिपदोजित निर्भरकुंजर कुंभकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

विजित सहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृत सुरतारक संगरतारक संगरतारक सूनुनुते
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योनुदिनं स शिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत्
तव पदमेव परंपदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

कनकलसत्कल सिंधुजलैरनु सिंचिनुतेगुण रंगभुवं
भजति स किं न शचीकुचकुंभ टटीपरिरंभ सुखानुभवम्
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवं
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

तव विमलेंदुकुलं वदनेंदुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूत पुरींदुमुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि मयि दीनदयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुभितासिरते
यदुचितमत्र भवत्युररि कुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते