Shri Krishna Govind Hare Murari
Ravindra Jain
8:56सकल जतन करके भई मंदोदरी हताश दंहि को दिखे नहीं कंठ काल को पाश अति भयभीत अमंगल सो भई पति की करनी पर पछतावे इष्ट को कोई अनइष्ट न होई सो मन ही मन निज इष्ट मनावे मूढ़ भयो दस मूढ़न वारों ताही मूढ़ के जो समझावे जान की रेवा ले आयो रे जानकी रावण को अब कौन बचावे