Byah Ke Lavenge 2
Sachin Jaat
2:54फकीर सा बणिआ गाल में ढोलता हाय तू कुछ भी कोन्या बोलता फिरे से बाल बुल बिखराए बता क्यों दिल के राज ना खोलता मेरी तो हीर बीरानी होगी बेरा नी हीर मेरी कित खो गी एक लाल रंग का ओढ़ाया पल्लू उसमें मुँह वा लकोगी मेरी तो हीर बी रानी होगी बेरा नी हीर मेरी कित खो गी ओढ़ के लाल रंग का पल्लू ओले मुँह वा लकोगी मेरी तो हीर बी रानी होगी हो मैनें लागे इश्क दरिया तू बाहर काढ़ के फेंक दिया मछली की ढाला तड़पे तू तेने कौन सा बता पाप किया हो मेरे हाथ ता बहता चला गया पानी ता मोहब्बत कर बैठा मेरी जिंदगी में एक जाल आई उस जाल के हाथों मर बैठा बता फेर के करनी सेवा तेरी मैं फिरूं ढूंढता हीर मेरी मैनें लागे दिलवा तोड़ किते अब गहरी नींद में सो गी मेरी तो हीर भी रानी होगी बेरा नी बरन वा कित खो गई ओढ़ के लाल रंग का पल्लू ओले में मुँह लोकोगी मेरी तो हीर बी रानी होगी बेरा नी बरन वा कित खो गई ओढ़ के लाल रंग का पल्लू ओले में मुँह लोकोगी मेरी तो हीर बी रानी होगी कोई शाख ते पत्ता टुट्या लागे, उड़ता हंडे गड़ी-गड़ी इसके वियोग में मने बता तेरी रू, हांडे से बड़ी-बड़ी मेरी सोहे माथी मजबूर घड़ी, उन दोनों हाथ इजोड़ दिए कदे कच्चे घड़ा पे दिल बैठै, धर कच्चे घड़यों ने फोड़ दिए बता के खोगी से थारी साकी हाँ जी बात थारी से साची तू फिरे बिलकदा गाळा में वा, गैर के मुंह में होगी मेरी तो हीर बिराणी होगी, बेरा नी बैरन वा कित खोगी ओढ़ के लाल रंग का पल्लू, ओ ले मैं मूल लकोगी मेरी तो हीर बिराणी होगी बेरा नी बैरन वा कित खोगी। ओढ़ के लाल रंग का पल्लू ओ ले मैं मूल कोगी। मेरी तो हीर बि राणी होगी