Mausam Aawazen De Raha Hai
Shabbir Kumar
6:01बहरो की रंगीनियों को चुरा कर वो कलियो की मुस्कान होठों पे लेकर सितारों से वो मांग अपनी सजा कर वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर वही हैं वही मेरी ज़ुस्तज़ू तस्वीर जिसकी आँखों में हैं बहरो की रंगीनियों को चुरा कर वो कलियो की मुस्कान होठों पे लेकर सितारों से वो मांग अपनी सजा कर वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर झील के जैसी गहरी वो आँखे मदिरा के छलके प्याले हो जिनमे कमर होगी उसकी ऐसी के जैसे कोई लचकती फूलो की डाली कोई लचकती फूलो की डाली कटी डोर लेहरायए जैसे हवा पर जो मुश्किल से हाथो में आये सितमगर वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर वही हैं वही मेरी ज़ुस्तज़ू तस्वीर जिसकी आँखों में हैं बहरो की रंगीनियों को चुरा कर रेशमी जुल्फे रातो से काली गुलाबो की सुर्खी होठों की लाली चन्दन सी बहे जन्नत की रहे उभरता वो सीना दिलो की तबाही उभरता वो सीना दिलो की तबाही वो आएगी आएगी मगरूर दिलबर सितारों की दुनिया से एक दिन ज़मी पर वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर वही हैं वही मेरी ज़ुस्तज़ू तस्वीर जिसकी आँखों में हैं बहरो की रंगीनियों को चुरा कर जमा करके इन हुस्न की खुभियो को बनेगी वो मेरे ख्यालों की मल्लिका जो आँखों में लेकर नशा हल्का हल्का जो सिमट जायेगी मेरी बाहों में आकर सिमट जायेगी मेरी बाहों में आकर मेरी दुनिया रख देगी जन्नत बनाकर वो कलियो की मुस्कान होठों पे लेकर सितारों से वो मांग अपनी सजा कर वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर ओ तू ही हैं तू मेरी ज़ुस्तज़ू तस्वीर जिसकी आँखों में हैं तू ही हैं तू मेरी ज़ुस्तज़ू तस्वीर जिसकी आँखों में हैं