Baharon Ki Ranginiyon Ko Chura Kar

Baharon Ki Ranginiyon Ko Chura Kar

Shabbir Kumar

Альбом: Naseeb Apna Apna
Длительность: 6:47
Год: 1986
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Текст песни

बहरो की रंगीनियों को चुरा कर
वो कलियो की मुस्कान होठों पे लेकर
सितारों से वो मांग अपनी सजा कर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर
वही हैं वही मेरी ज़ुस्तज़ू
तस्वीर जिसकी आँखों में हैं
बहरो की रंगीनियों को चुरा कर
वो कलियो की मुस्कान होठों पे लेकर
सितारों से वो मांग अपनी सजा कर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर

झील के जैसी गहरी वो आँखे
मदिरा के छलके प्याले हो जिनमे
कमर होगी उसकी ऐसी के जैसे
कोई लचकती फूलो की डाली
कोई लचकती फूलो की डाली
कटी डोर लेहरायए जैसे हवा
पर जो मुश्किल से हाथो
में आये सितमगर
वो आएगी एक दिन
मेरे पास चलकर
वही हैं वही मेरी ज़ुस्तज़ू
तस्वीर जिसकी आँखों में हैं
बहरो की रंगीनियों को चुरा कर

रेशमी जुल्फे रातो से काली
गुलाबो की सुर्खी होठों की लाली
चन्दन सी बहे जन्नत की रहे
उभरता वो सीना दिलो की तबाही
उभरता वो सीना दिलो की तबाही
वो आएगी आएगी मगरूर दिलबर
सितारों की दुनिया से एक दिन ज़मी पर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर
वही हैं वही मेरी ज़ुस्तज़ू
तस्वीर जिसकी आँखों में हैं
बहरो की रंगीनियों को चुरा कर

जमा करके इन हुस्न की खुभियो को
बनेगी वो मेरे ख्यालों की मल्लिका
जो आँखों में लेकर नशा हल्का हल्का
जो सिमट जायेगी मेरी बाहों में आकर
सिमट जायेगी मेरी बाहों में आकर
मेरी दुनिया रख देगी जन्नत बनाकर
वो कलियो की मुस्कान होठों पे लेकर
सितारों से वो मांग अपनी सजा कर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर

ओ तू ही हैं तू मेरी ज़ुस्तज़ू
तस्वीर जिसकी आँखों में हैं
तू ही हैं तू मेरी ज़ुस्तज़ू
तस्वीर जिसकी आँखों में हैं