Ababilon Ka Lashkar Or Abraah Ka Anjaam
Haji Tasneem Arif
23:09लवो पर आ गया वाक्या अनवार से सुन लो खुदा ऐ पाक का मेहबूब का मोइजिजा सुन लो खुदा ऐ पाक का मेहबूब का मोइजिजा सुन लो लवो पर आ गया वाक्या अनवार से एक वाकया सुन लो खुदा ऐ पाक का मेहबूब का मोइजिजा सुन लो खुदा ऐ पाक का मेहबूब का मोइजिजा सुन लो खुदा ऐ पाक का मेहबूब का मोइजिजा सुन लो सिफा की एक इबरत में सुनाता हु में मुसलमानो सुन लो नबी का रहमतो का कद दिखता हु मुसलमानो मोहम्मद मुस्तफा को रब ने ऐसी शान बक्शी है बुलाया अर्श पे मजमते जान बक्शी है हर के शेह को आपका तबे बनाया है लक़ब महबूब का सरकार ने अल्ल्हा से पाया है नबी तसरीफ फरमाते तबियत में उबाल आया सारे जगल की शेर हजरते को ख्याल आया सहाबा हो लिया साथ में चल पड़े हजरत में निकल के शहर में जगल में आ गए फौरन कदम रखा जिस घड़ी महबूब दावर ने दरख्त ने सलामी की हर एक पत्थर ने बरसती रहमते खुदा मौसम था के जगल में था मगल यहां शाही मौजूँ था के जगल में था मगल यहां शाही मौजूँ था के जगल में था मगल यहां शाही मौजूँ था नजारा जब किया सरकार ने जगल बादी का किसी गुलशन वो किसी शेहरा बन गया किसी दूल्हा शादी का खेरा ने में नाज से चहल कदमी की सभी हो मलक करने लगे बारिश सलामी की हुए कुर्बान जर्रे मुस्करा उठे जो कालिया थी सभी वो फूल खिल खिला पर उठी पर खुदा शुक्र मसरूफ थे जहे किस्मत नूर मोहम्मद्द थे अजब सी बोलियों में बोल थे फिरते थे शेहरा में दुरुद पाक पढ़ पढ़ कर सेहरा में थे जानवर ख़ुशी का राग गाते थे जानवे आमना अली पे कुर्बान जाते थे खुदा ने जिस घड़ी रहमत के फूल बरसाए तो सेहरा अरब मंजरे जन्नत नजर आये तो सेहरा अरब मंजरे जन्नत नजर आये तो सेहरा अरब मंजरे जन्नत नजर आये चले कुछ दूर दर्द से पुरनम सदा आई मेरी इनदात फ़रमाओ में बेकसूर हु निदा आई वहां जाकर देखा झाड़ियों में झुरमुट है फांसी जल में हिरणी लव पे एक रट है मेरे सरकार आ जाओ मेरे गमखर आ जाओ मुझे आजद करने मुख़्तार आ जाओ मुशर्रफ हो गयी दीदार से आका को पाया सभी बिखरा हुआ सिरजा फौरन सीमट आया मेरे सरकार ने रहमत भरे दिल से पूछा मेरे दिल को छूने वाली थी उसी आगश में पूछा बताओ क्या बात किस तरह इस जल में आयी बड़ा अफ़सोस है की तुम इस हाल में आयी तुम्हारे काम आऊंगा तुम्हारा सख्त बन के आया हु चरिंदो के लिए भी एक रहमत बन के आया हु चरिंदो के लिए भी एक रहमत बन के आया हु चरिंदो के लिए भी एक रहमत बन के आया हु कहा सय्यद ने सरकार जाल अपना बिछाया था अचानक फस गयी बद घड़ी का मुझ पे साया था सुना है आप मजबूर की इम्दात करते है सिवा करतलव से दामन मकसूद भरते है कभी खाली यह से मांगने वाला नहीं जाता किसी साहिल को आका टाला नहीं जाता मुझे भी सुरकरू फरमाइए मेने पुकारा है मेरे आका भवर में जत ज़त का फितरा है सुबह से फसी जाल में हाल अवतर है मेरे बच्चे हैसरकार दो एक लड़का एक दुख्तर है बड़े समशीन है ज़ेरे और भोले भाले है जमाने के नजरो से मेरे खातिर निराले है सताती होगी भूख मग़मूम बच्चो को तो आती हो गी माँ की याद उन मासूम बच्चों को तो आती हो गी माँ की याद उन मासूम बच्चों को तो आती हो गी माँ की याद उन मासूम बच्चों को बिलख तो होंगे मेरी राह देखते होंगे मेरी मुज़्तरिम होंगे ना दोनों खेलते होंगे कलेजे से लगा लगी सुकून आ जाये गा उनको अगर में मर गयी तो कौन बहेला गा उनको सिवा मेरा सहारा बदनसीबों का उधर खतरा खतरा है जगल में शेरो का सहारा दिज्ये है आलमा के बेकश को सताता है जाल शिकारी का करम अहमदे मुख़्तार हो जाये सफीना मेरा तूफान है ऐ आलम पार हो जाये मुझे आजाद फरमा दो करार दिल म्य्स हो शेनशाह जमा मालिके कुलरव के दिलवर हो पीला कर दूध बच्चो को में लोट आउंगी मेरे सरकार मेने जो किया वादा निभाऊंगी मेरे सरकार मेने जो किया वादा निभाऊंगी मेरे सरकार मेने जो किया वादा निभाऊंगी ये बाते सुन के कल मुस्तफा में रहम आया तभी दस्ते मुबारकउसे आजाद फ़रमाया शिकारी आगया फौरन अकड़ के जिस तरह बोला बड़े तनजिया लहजे में अपन मुँह खोला बताओ किस लिए तुमने जानवर को छोड़ा है इजाजत के बिना इस जाल के फंदो को तोडा है कहा सरकार ने ठहरो अभी आ जाएगी हिरणी वो बच्चो को अपने साथ लेकर आएगी हिरणी हसा हस कर बोला आप कैसी बात करते है जो अनहोनी है बाते बीएस उसी के दम को भरते है कमा से जब तीर निकले वो रहता है सोजिश में ख़िलाफ़े अक्ल है लोट के आये हिरणी तरकश में क़िसी सूरत में हिरणी लोट के वापस ना आएगी हमारा कुछ नहीं हजरत तुम्हारी बात जाएगी हमारा कुछ नहीं हजरत तुम्हारी बात जाएगी हमारा कुछ नहीं हजरत तुम्हारी बात जाएगी ये बोले मुस्तफा वादा किया है तो निभाएगी मुझे उम्मीद है की लोट के वो जल्द आएगी शिकारी ने कहा वो आ गयी तो मान जाउगा पढ़गा आपका कलमा अभी ईमान लाऊंगा जरा कुछ दूर पर उबार उठता नजर आया हुआ जब साफ मतला हिरणी का कुंवा नजर आया वो अपने दोनों बच्चो को साथ लेकर मुस्कराती अदाए नाज से चलती है जानिब को आती है हुए सर झुकाये हिरनी के बच्चो ने सलामी पेश की सरकार को खुश होक तीनो ने हुआ हेरा शिकारी मोजज़ा हजरत का जब देखा सीवा इमान लेन के लिए उसे कुछ नहीं सुझा झुकाया सर अनोखी शान ले आया मुसलमा हो गया अनवार इमान ले आया मुसलमा हो गया अनवार इमान ले आया मुसलमा हो गया अनवार इमान ले आया मुसलमा हो गया अनवार इमान ले आया