Chidiya
Vilen
4:14क्यूँ ढूँढे है तू खुद में गम ये बता जब जादू यहाँ चलती फ़िज़ाओं में है क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है क्यूँ देखे है तू आँख भर एक सपना सपने तो यहाँ बुनते हज़ारों में है क्यूँ ढूँढे है तू भीड़ में एक अपना अपने तो यहाँ सब अंजाने भी है क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है और कभी कभी जो अश्कों से मुलाक़ात होती है वो समझने को अंजानी एक बात होती है अरमानो की सड़क पे ना हैरान हो प्यारे जहाँ तू है वहाँ भी तो बरसात होती है और होती है जो बनके फिर से सुबह वो सुबह भी चमकती किताब होती है ज़ा लेले तू भी मनमर्ज़ी का मज़ा क्या रखा तेरी चार दीवारों में है क्यूँ ढूँढे है तू रात में दिन का पता जब मस्ती यहाँ चाँदनी राहों में है