Kitaben Bahut Si
Asha Bhosle
6:30खड् गं चक्र गदेषु चाप परिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः शंखं संदधतीं करौस्त्रिनयनां सर्वाड्गभूषावृताम् नीलाश्म द्युतिमास्य पाददशकां सेवे महाकालिकाम् यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुंमधुं कैटभम् देवासुर संग्राम में, देखो, माई दुर्गा-चण्डिका देवासुर संग्राम में, देखो, माई दुर्गा-चण्डिका (चण्डिका, चण्डिका) रक्तबीज संहार हेतु, माँ, प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका देवासुर संग्राम में, देखो, माई दुर्गा-चण्डिका (चण्डिका, चण्डिका) रक्तबीज संहार हेतु, माँ, प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका महाकाली की "जय" बोलो शक्तिशाली की "जय" बोलो (महाकाली की "जय" बोलो) (शक्तिशाली की "जय" बोलो) जय-जय कालिका, जय-जय कालिका (जय-जय कालिका, जय-जय कालिका) खप्पर वाली कालिका, कालिका, माँ रक्तबीज को काट-काट कर थक गई माई चण्डिका (थक गई माई चण्डिका) रक्त गिरे जहाँ, प्रकट हो दावन, क्रोधित हो गई चण्डिका (क्रोधित हो गई चण्डिका) ले चिग्घाड़, दहाड़ी रण के बीच में माई चण्डिका चेहरा क्रोध से काला हो गया, आग हो गई चण्डिका तन गई भ्रकुटी माता चण्डी की, प्रलयंकर रूप धरी लिया हुँकार, प्रकट हो गई, रूप काली का धारण की महाकाली की "जय" बोलो शक्तिशाली की "जय" बोलो (महाकाली की "जय" बोलो) (शक्तिशाली की "जय" बोलो) जय-जय कालिका, जय-जय कालिका (जय-जय कालिका, जय-जय कालिका) खप्पर वाली कालिका, कालिका, माँ काल रूप में माता जी का नाम हो गया कालिका (नाम हो गया कालिका) श्याम रंग वाली माँ काली, अष्ट-भुजी माँ कालिका (अष्ट-भुजी माँ कालिका) एक हाथ में खप्पर, एक में खड्ग लिए माँ कालिका एक हाथ में त्रिशूल, एक से आशीष दे माँ कालिका निकाली जिह्वा बाहर, बन गई रक्त-प्यासी कालिका रक्त का बूँद-बूँद पी गई, असुर संहारी कालिका महाकाली की "जय" बोलो शक्तिशाली की "जय" बोलो (महाकाली की "जय" बोलो) (शक्तिशाली की "जय" बोलो) जय-जय कालिका, जय-जय कालिका (जय-जय कालिका, जय-जय कालिका) खप्पर वाली कालिका, कालिका, माँ देवासुर संग्राम में, देखो, माई दुर्गा-चण्डिका देवासुर संग्राम में, देखो, माई दुर्गा-चण्डिका (चण्डिका, चण्डिका) रक्तबीज संहार हेतु, माँ, प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका ...प्रकट भई कालिका