Top Floor Shiii
Yashraj
3:00कर मेरी आत्मा सलामत (आत्मा सलामत) घड़ी मेंहेंगी बुरा वक्त (घड़ी मेहँगी बुरा वक़्त) सारी गुम्म क्यू शराफत (सारी गम क्यू शराफत) झूठी दे ना सलाह मत (ना ना) कर मेरी आत्मा सलामत (आत्मा सलामत) घड़ी मेंहेंगी बुरा वक्त (घड़ी मेहँगी बुरा वक़्त) सारी गुम्म क्यू शराफत (सारी गम क्यू शराफत) झूठी दे ना सलाह मत (ना ना) होशो आवाज़ में दिल और दिमाग से करु ना बातें वो होगा नई क्लास में बैठे नज़रे थी कांच पे ना जाने किसने क्यू टोका नै शायद वो जाँते लाया ये नब्बे के नीचे तो सोचेगा दब्बे के बाहर जिंदगी कितनी आसान थी तबसे ही अंको से नाप रहे ये इंसान लेदे बात-ते सोते नई है रातें वो बोले लिखा सभ मैं बोलू, लिखे हाथ से फैला अँधेरा सर्पे जैसे चलती रात में चांद से आंखें जाती भीग उस बरसात में सही सलामती ये बातें ना कहावती ये मुश्किल तो द्रौपदी की सदी है होती न ख़तम क्यू? ज़िम्मेदारी हम कहानी के व्यापारी चाहे होंगी जेबे भारी जब हालात हैं मदारी फ़िर क्यू? बेचू आत्मा मैं खाने के बस डर में रहता हूँ आए दिन वो जब दिल पे ना लगे जो कहता क्या जब भी गाड़ी होगी बड़ी और गले में होंगी चेनें तुम कहोगे साला बीटन पे वैसे नई बात क्या मुझे बदलने का मौका दोगे क्या मुझे संभालने का मौका दोगे प्यार मेरा लौटा दोगे! गलती की माफ़ी नई माँगता बस तुम रहना साथ ताकी तुम समझो कलाकार भी है इंसान! कर मेरी आत्मा सलामत (दिल खोलने की आदत) घड़ी मेंहेंगी बुरा वक्त (हर एक बोल है बगावत) सारी गुम्म क्यू शराफत (हमें दे ना सज़ा मत!) झूठी दे ना सलाह मत (ना ना) कर मेरी आत्मा सलामत (आत्मा सलामत) घड़ी मेंहेंगी बुरा वक्त (घड़ी मेहँगी बुरा वक़्त) सारी गुम्म क्यू शराफत (सारी गम क्यू शराफत) झूठी दे ना सलाह मत (ना ना) किसी ने तो कहा था की जिंदगी में "काला" होना बहुत जरूरी है हम सब कलाकार हैं पर साला ये कलाकारी में इतने डूब गये की ये जिंदगी छोटी लगने लग गई और ऐसे डूब गये की ये पानी बस सर के ऊपर चढ़े जा रहा है चढ़े जा रहा है चढ़े जा रहा है