Sahiba
Aditya Rikhari
3:11हाँ, तेरी यादों से दिल जो भर गया तेरे वादों में चैन और सबर गया पहले थी तेरी कलाई हाथों में न जाने कैसे ये सुत्ता चढ़ गया? तेरी यादों से दिल जो भर गया तेरे वादों में चैन और सबर गया पहले थी तेरी कलाई हाथों में न जाने कैसे ये सुत्ता चढ़ गया? हर एक मर्तबा बेज़ार करते हो ऐसे भी देखो ना, के प्यार करते हो छुप-छुप के पढ़ते हो खत मेरे आज भी और है सितम के फिर इनकार करते हो के आँखें मेरी करने लगी हाल-ए-दिल मेरा बयां पूरा था अभी, तू आधा कर गया था थोड़ा ग़मज़दा, तू ज़्यादा कर गया पहले थी तेरी कलाई हाथों में न जाने कैसे ये सुत्ता चढ़ गया, आ, आ यादों से दिल जो भर गया तेरे वादों में चैन और सबर गया पहले थी तेरी कलाई हाथों में न जाने कैसे ये सुत्ता चढ़ गया? हम्म, तू जो कह दे तो हाथों में सितारे तेरे सारे ला के तेरे रख दूं मैं जिनमें तू न हो, पलकों से सारे वो नज़ारे जा के ढक दूं मैं आँखें तेरी पढ़ लें कभी आँखों की मेरी ज़ुबां जीने की सभी वजह तू बन गया था शब तू ही, सुबह तू बन गया पहले थी तेरी कलाई हाथों में न जाने कैसे ये सुत्ता चढ़ गया, आ, आ, आ यादों से दिल जो भर गया तेरे वादों में चैन और सबर गया पहले थी तेरी कलाई हाथों में न जाने कैसे ये सुत्ता चढ़ गया?