Jugni (Queen)

Jugni (Queen)

Amit Trivedi & Anvita Dutt Guptan

Альбом: Queen
Длительность: 4:23
Год: 2014
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Текст песни

कोई खिड़की तो खुली, खुली, खुली
कभी ऐसा लगे डारी रात है, रात है, रात है
डारी, डारी, डारी, दबे, दबे, दबे
पैरों से वो चली
काँच की घास पे, घास पे, घास पे
काली सी रिद्धि में हुई वो क़ैद जी
चाँद की वारी हमने गुलेल थी
तारों की चाभी से खुली सेफर सी
सुबह, सुबह, सुबह, सुबह
जुगनी हे उड़ी हे
नये नये पर लिए
ओ पिंजरा खोल, ओ पिंजरा खोल ओ
जुगनी हे उड़ी हे
दिल में घर किए
ओ पिंजरा खोल, ओ पिंजरा खोल ओ

फ़लसफ़े झूठे लगे सभी हो गये हैं चकनाचूर चकनाचूर
जो रोशिनी चल गया हवा
ओढ़े हुए चलने लगे कहाँ
हुज़ूर है खुद का नूवर खुद का नूवर
चौखट पे माँगी जिसकी मुराद थी
जिसके लिए वो इतनी उदास थी
कोई ना जाने कितनी वो ख़ास थी
सुबह, सुबह, सुबह, सुबह
जुगनी हे उड़ी हे
नये नये पर लिए
ओ पिंजरा खोल, ओ पिंजरा खोल ओ
जुगनी हे उड़ी हे
दिल में घर किए
ओ पिंजरा खोल, ओ पिंजरा खोल ओ