Pashmina
Amit Trivedi
4:44क्या कभी सवेरा हा हा लाता है अँधेरा हा हा सूखी सियाही देती है गवाही सदियों पुरानी ऐसी एक कहानी रह गयी रह गयी अनकही अनकही क्या कभी सवेरा हा हा लाता है अँधेरा हा हा सूखी सियाही देती है गवाही सदियों पुरानी ऐसी एक कहानी रह गयी रह गयी अनकही अनकही क्या कभी बहार भी पेशगी लाती है आने वाले पतझर की ओ बारिशें नाराज़गी भी जता जाती है कभी कभी अम्बर की पत्ते जो शाखों से टूटे बेवजह तो नहीं रूठे हैं सभी ख्वाबों का झरोंखा हा हा सच था या धोखा हा हा माथा सहला के निंदिया चुराई सदियों पुरानी ऐसी इक कहानी रह गयी रह गयी अनकही हो अनकही