Tujhse Bichhad Kar Znda Hain

Tujhse Bichhad Kar Znda Hain

Anuradha Paudwal

Альбом: Yaadon Ke Mausam
Длительность: 5:43
Год: 1990
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Текст песни

तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है
तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है

तपती दोपहरी में तेरी
आहात दिल में आती थी
तपती दोपहरी में तेरी
आहात दिल में आती थी
बारिस से एक दिल के अंदर
रिमझिम राग सुनाती थी
अब हम और तपती दोपहरी
बीच में यदि ज़िंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है

शाम को अक्सर छत पे
आकर डूबता सूरज तकती थी
शाम को अक्सर छत पे
आकर डूबता सूरज तकती थी
तो उसकी लाली जनम
हाथ की मेहंदी लगती थी
मेहंदी तू नाराज न होना
हम तुझसे शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है

हम रहते थे तुझसे लिपट कर
तो कितना सच लगता था
हम रहते थे तुझसे लिपट कर
तो कितना सच लगता था
सार्ड अँधेरी रात में जनम
एक दिया सा जलता था
अब तेरी विरह की रातें
निसले की रे ताबिन्दा है
जान बहुत शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है
तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है
जान बहुत शर्मिंदा है