Kahin Door Jab Din Dhal Jaye

Kahin Door Jab Din Dhal Jaye

Capt. Rakesh Kumar

Длительность: 5:22
Год: 2023
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Текст песни

कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराये
चुपके से आये

कभी यूँ ही जब हुई
बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे
जब यूँ ही आँखें
कभी यूँ ही जब हुई
बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे
जब यूँ ही आँखें
कभी मचल के
प्यार से चल के
छुए कोई मुझे
पर नज़र न आये
नज़र न आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराये
चुपके से आये

कहीं तो ये दिल कभी
मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल
आये जन्मों के नाते
कहीं तो ये दिल कभी
मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल
आये जन्मों के नाते
थमी थी उलझन
बैरी अपना मन
अपना ही होके
सहे दर्द पराए
दर्द पराए
कहीं दूर जब
दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन
बदन चुराए
चुपके से आये

दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
हो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
हो गए केसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने एहि तो है अपने
मुझसे जुदा ना होंगे इनके ये साये
इनके ये साये
कहीं दूर जब
दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन
बदन चुराए
चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाये
कहीं दूर जब
दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन
बदन चुराए
चुपके से आये