O Hansini
Capt. Rakesh Kumar
4:05कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये मेरे ख्यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए दीप जलाये कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराये चुपके से आये कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें भर आई बैठे बैठे जब यूँ ही आँखें कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें भर आई बैठे बैठे जब यूँ ही आँखें कभी मचल के प्यार से चल के छुए कोई मुझे पर नज़र न आये नज़र न आये कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराये चुपके से आये कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते कहीं पे निकल आये जन्मों के नाते कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते कहीं पे निकल आये जन्मों के नाते थमी थी उलझन बैरी अपना मन अपना ही होके सहे दर्द पराए दर्द पराए कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे हो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे हो गए केसे मेरे सपने सुनहरे ये मेरे सपने एहि तो है अपने मुझसे जुदा ना होंगे इनके ये साये इनके ये साये कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये मेरे ख्यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए दीप जलाये कहीं दूर जब दिन ढल जाये साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये