Cigarette
Farhan Khan & Mr Doss
3:36अच्छा खानसाब, मरने से पहले, तुम्हारी भी किसी से मोहब्बत रही होगी, उसके बारे में भी कुछ बताओ अरे छोड़ो यार बता भी दो यार चलो ठीक है जनाज़े पे लगा था मेला थी भीड़ एक तरफ और एक तरफ जनाज़ा था मेरा अकेला वो देख चेहरा मेरा, मुस्कुरा के बोली मुझसे "जच रहे हो खानसाब, ओढ़ कर सफेद चोला" मैं बोला "उफ़! तहे दिल से शुक्रिया" पर थी आवाज़ अंदर की, ना मुंह हिला, ना उंगलियां वो बेनक़ाब थी, हुस्न ऐसा देखा ना था नज़रें मिली बहका, वो जनाज़ा नहीं महख़ाना था वो देखे जाए मुझको, मैं देखे जाऊं खुदको देखने का आलम ऐसा खुद के अंदर पाऊं उसको सांसें तो रुक चुकी थी, ये हवाएं आशिक़ी थी मरने के बाद मिलती है हूर, जी वो आ चुकी थी बधाई दे रहा था, बात कुछ अजीब थी नया लिबास, सामने चांद, वो शायद ईद थी इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन पढ़ के फूंका मुझ पे, थी उसकी साँसों में पाकीज़गी चेहरा तेरा, तेरा चेहरा मर के भी ना भुला मैं चेहरा तेरा चेहरा तेरा, तेरा चेहरा मर के भी ना भुला मैं चेहरा तेरा भाई ये कैसी मोहब्बत है? मतलब तुम बोल रहे हो, कि वो तुम्हारे मरने के बाद, तुम्हारे जनाज़े पे आई और उसने वहाँ तुम्हें देखा, और तुम्हारी रूह ने उसे देखा, और तुम्हारी रूह को उससे प्यार हो गया? अच्छा खैर जो भी है, पर तुम्हें नहीं लगता कि काश वो थोड़ी देर और वहाँ रुक जाती? और काश तुम थोड़ा और वक्त बिता लेते उसके साथ? Hmm, भाई बात तो सही है, पर— जा रही वो थी, मैं चाहता तो उसे रोक लेता पर तमाशा बन जाता तो मैं भी था खामोश लेटा हड़कंप सी मच जाती, बातें ये चारों ओर होती देख के महबूब को मय्यत को खोते होश देखा चाहा वो ना जाती, रह जाती मेरे पास वो तो मरने का अफसोस ना होता इतना इस लाश को मैं ज़िंदा होना चाहता फिर से मरने के लिए और मेरे दूसरे जनाज़े पे आ जाएं फिर से काश वो तो फिर दीदार हो, शिफा मिले बीमार को निकाह क़ुबूल रूह करें, ना जिस्म की दीवार हो फिर हो विदाई मेरी और करे श्रृंगार वो मैं डोली में बैठ के देख के शरमाऊं यार को हर कदम पे, छोड़ूँ मैं फूल अपने सफ़र में तसव्वुर उनका कर बैठा तो नूर मेरी क़ब्र में अब है तमन्ना उनकी, आरज़ू ना अब कुछ और थाम लूंगा दामन उनका मैदान-ए-हश्र में चेहरा तेरा, तेरा चेहरा मर के भी ना भुला मैं चेहरा तेरा चेहरा तेरा, तेरा चेहरा मर के भी ना भुला मैं चेहरा तेरा भाई ऐसी मोहब्बत, और ऐसा इंतज़ार, और तब तक? और तब तक क्या, तब तक उसके जैसी और भी लैला है और मेरे जैसे और भी अलिफ है, तब तक उनकी कहानी चलेगी, तब तक उनकी मोहब्बत चलेगी