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Ikka - Bhari Mehfil | Скачать MP3 бесплатно
Bhari Mehfil

Bhari Mehfil

Ikka

Длительность: 3:59
Год: 2024
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Текст песни

ना भरी मेहफिलो में बुलाया करो
तन्हाईयाँ नाराज़ हो जाती है
नींद आँखों से ओझल नशा हो गया
पर वो आराम से कितने सो जाती है
तुमने दिल्लगी की ना मौजे बढ़ाई
हमने तो वफ़ा ने वफ़ाई ना पाई
हम पतछड़ के पत्तों से हे बिखरे बिखरे
मिला सरदर्द से मौसम और उसकी रुसवाई
हम अश्को में अपने ही डूबे रहे ना
किनारो से उसने आवाज़ लगाई
हम रह रह के कैद अपनी सिसकियों में
क्या तुरो ने की दे हमको कमाई
हा सोते की फिर से वो सपनों में आई
फिर आँखें खुली और वो खो जाती है
नींद आँखों से ओझल नशा हो गया
पर वो आराम से कितने सो जाती हैं

तुमको पता ना की क्या हम पे बीते
खुदसे तुम से पूछो के क्या केह दिया
सक से ना चलती मोहब्बत की सांसे
जाने बिना बेवफा केह दिया
मैं तेरी की तेरी हूं तेरी कसम
तेरा दिल तोडू ऐसा गुनाह  ना किया
बया ना कर पाऊं के कितना असर
दर्द जो तूने वफा को दिया
तकलीफों में दिन मेरे ढलते रहे
और अश्को में शामे गुजर जाती हैं
उनसे खफा पर ना उनको खबर
ये दीवानी भी उसकी ना सो पाती हैं

तन्हा रातों में एक नाम याद आता है
कभी सुबह कभी शाम याद आता है
जब सोचते हैं कर ले बारा से मोहब्बत तेरी
मोहब्बत का अंजाम याद आता है
सकल देख मेरी नाम पूछ मेरे दर्द की सिरदर्द
दर्द तो दर्द कम ज्यादा क्या दिल पे हाथ रख के
खुदसे से पूछ क्या में तुझे याद नहीं आता क्या
मिला सुकून मेरे दिल को जब जलाई
जो संभाल लगी फोटो यार की
खोखले पे रूखे मुरजाजे से गए
उस बेटे को ना मिला धूप प्यार की
रातें मांगती हुई मेरी आंखों से
बहुत भारी चढ़ा नींद का जो करजा हे
हां याद आया तेरे जूठे आखरी अल्फाज
जी सके तो जी लेना मर जाए तो ही अच्छा है
हो हर कोने में हमको देके सुनाए
ना आवाज़ ख़ामोश हो पाती है
नींद आँखों से ओझल नशा हो गया
पर वो आराम से कितने सो जाती है