Mashriq Se Jo Aaye (From "Aashiq Hoon Baharon Ka")

Mashriq Se Jo Aaye (From "Aashiq Hoon Baharon Ka")

Kishore Kumar

Длительность: 5:18
Год: 1977
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Текст песни

मसरिक से जो आए मगरिब मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे खासे लोग थे दीवाने हो गये
अरे पूरब से जो निकले पश्चिम मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये

होश मे वो सुन सकते तो उनसे इतना कहना था
शरम वफ़ा हर औरत का एक परदा था एक गहना था
देश इन्होने छोड़ दिया
लेकिन घर मे तो रहना था
अरे घर से जो निकले वो गलियो मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये

इनको कुच्छ भी याद नही ये हर रीत भुला बैठे
अपनी जान के ये दुशमन अपने मीत भुला बैठे
शाम की बंसी राधा के सारे गीत भुला बैठे
अरे गंगा के माजी मदिरो मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये

माना और वतन है ये अपना हिन्दुस्तान नही
इसमे ऐसे लोग भी है जिनकी कुच्छ पहचान नही
जिनकी कुछ तहसीब नही जिनकी कोई दुकान नही
अरे ये जाने पहचाने अंजाने हो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
मसरिक से जो आए मगरिब मे खो गये
अरे अच्छे ख़ासे लोग थे दीवाने हो गये
ये अच्छे क़ाहसे लोग थे दीवाने हो गये