Bajrang Bali
Lucke
3:40दुख शुरू थे मेरे जन्म से पहले जन्म से पहले मेरी मौत इंतज़ार में कैसे कंहू कहानियाँ अब सुनो पूरी लंबी कतार में जन्म हुआ मेरा जेल में माँ बाप का चेहरा मैंने देखा नही रोती रही माँ देवकी जुदाई मिली मुझे भेंट में मामा से मिला उपहार ये मेरे मात पिता लाचार थे छः भाईयो को मारा सामने आँसू थे माँ की आँखों में वैसे तो था भगवान् मैं अजीब सा ये खेल है मेरे मात पिता मेरे देवता वो दोनों ही थे जेल में कर्तव्य मिले मुझे जन्म से बचपन बीता संघर्ष में जिस माँ ने पाला पोषा मुझे उससे भी हो गया दूर मैं विधि का क्या विधान था क्या लेख लिखा था कर्मों का तुम ठीक से रो तो लेते हो मैं रो भी ना पाया चैन से कहने को मैं सबकुछ था मैं राजा भी मैं रंक भी कष्ठो से भरा था जीवन मेरा दुखों का मेरे अंत निशान खेल कूद की उम्र में कर्तव्य मेरे अनेक थे छुड़वाना था मेरे माता पिता को कई बरसों से कैद थे धर्म के चलते कर्म से वो वृंदावन भी छोड़ दिया मथुरा की उन गलियों से भी अपना दामन मोड़ लिया वृंदावन के साथ साथ किस्मत भी मेरी रूठ गई प्राणों से प्रिय मेरी वो राधा रानी छूट गई बांसुरी को भी त्याग दिया सब छोड़-छाड़ के दूर गया सुदर्शन धारण करके कान्हा धुन मुरली की भूल गया धर्म बचाने की खातिर अब हस्तिनापुर को चला गया मैं माखन चोरी करता था कभी न्यायधीश अब बन गया समय का चक्र अजीब था में जीत के भी हार गया धर्म बचाने वाले को दुनिया ने कपटी बता दिया तरह तरह के श्राप मिले अश्रु की बूंदे सुख गयी माँ गांधारी के श्राप से मेरी द्वारिका नगरी डूब गयी मेरी बाँसुरी भी छूट गयी मेरी द्वारिका भी डूब गयी मैंने क्या ही पाया जीवन से जब प्रेमिका ही दूर गयी विश्राम करने लेटा था मैं तीर पैर में आ लगी तुम जीते ज़िंदगी चैन से मुझे मौत चैन की ना मिली मानव के इस रूप में मैंने जाने क्या क्या देखा मेरे वंश का पतन देखा बर्बरीक का मस्तक देखा द्रौपदी का चीरहरण अभिमन्यु का अकाल मरण कुरूक्षेत्र की भूमि में भारी भरकम विध्वंश देखा