Mohammad Ke Darpe
Mohammed Aziz
7:17दिल के सौदे में फरिश्ते भी गुनहगार बने सेज के नाम पे जिनके लिए मजार बने दिल का फरेब जब कोई गुलनार खा गई दिल का फरेब जब कोई गुलनार खा गई उस गुलबदन को वक्त की दीवार खा गई उस गुलबदन को वक्त की दीवार खा गई दिल का फरेब जब कोई गुलनार खा गई जो जान अपने यार को नज़्राना लिख गई जो जान अपने यार को नज़्राना लिख गई और खून से वफाओं का अफसाना लिख गई उल्फत की बाज़ी जीत के भी हार खा गई दिल का फरेब जब कोई गुलनार खा गई दिल का फरेब जब कोई गुलनार खा गई यूं तो ये उस कनिज का मजार है ज़रूर हैं दफन मगर इसमें शहनशाहो का गुरूर मुगलों का हर गुरूर ये दीवार खा गई दीवार खा गई