Notice: file_put_contents(): Write of 623 bytes failed with errno=28 No space left on device in /www/wwwroot/muzbon.net/system/url_helper.php on line 265
Munawar Faruqui & Drj Sohail - Khawab | Скачать MP3 бесплатно
Khawab

Khawab

Munawar Faruqui & Drj Sohail

Альбом: Khawab
Длительность: 4:39
Год: 2022
Скачать MP3

Текст песни

Munawar लूटा हर बार
पर वो सीखता नही है
मुनावर टूटा कई बार
टूटा दिखता नही है
नसीबे लिख दिए है
दर्द लिखने वेल ने
मुनावर जैसा काग़ज़ो पे
दर्द फिर भी कोई लिखता नही है
सोचे हरा इतनी बार
फिर भी रुकता नही है
बेचु दर्द, के ईमान
मुझ से बिकता नही है
रुत बैठा यहा
देख खुद के साए से
कर्दे माफ़, क्या अफ़सोस
तुझको दिखता नही है
करू नेकी क्या जो
फ़र्ज़ ही आडया नही
गिर के जाना यहा
कोई भी सगा नही
तका हैं सब मे
मैं लौट के जौ कहाँ
घर पे इंतेज़ार
करने वाली मा नही
एक वक़्त था मैं रोता था
कब्र पे बैठ
एक वक़्त मैने राते काटी
खाली पेट
अंधारे देखे
पर हरा ना उम्मीद मैं,
आज वक़्त देख..
मैं बनके बैठा सबका सेठ
मशहूर नाम मेरा..
खुद से ही अंजान मैं,
कसूरवार ऐसा खुद की..
लेलू जान मैं
वो दिन थे बेहतर..
जब सोता था मैं खाली पेट,
आज बड़े घर मे..
खाता हू अकेले बैठ
नही याद कब मैं..
सोया था सुकून से,
पँहा माँगे पन्ने..
लिखता हूँ खून से
खुद से रूठा इतना..
टूटा मैं हू झूठा आज,
महफ़िलो मे मैं..
मिलूँगा सबसे झूम के
देदे नींद मुझे..
असर नही दवाओ में,
तका हूँ दुनिया से..
तू ले मुझे पनाहो में
बरसा रहा खुदा..
आज मुझपे इतनी रहमत,
मैं बदनसीब फिर भी..
डूबता गुनाहो में
लगा हुआ यून देख..
दुनिया को हसने में,
लिखू मैं शायरी वो..
दर्द के फसाने पे
भले ही आते है..
हज़ारो मेरी महफ़िल मे,
यह भीड़ चाहिए..
मुझे मेरे जनाज़े पे

मुनावर लूटा हर बार..
पर वो सीखता नही है,
मुनावर टूटा कई बार..
टूटा दिखता नही है
नसीबे लिख दिए है..
दर्द लिखने वेल ने,
मुनावर जैसा काग़ज़ो पे..
दर्द फिर भी कोई लिखता नही है
सोचे हरा इतनी बार..
फिर भी रुकता नही है,
बेचु दर्द, के ईमान..
मुझ से बिकता नही है
रुत बैठा यहा..
देख खुद के साए से,
कर्दे माफ़, क्या अफ़सोस..
तुझको दिखता नही है
मेरे आने पे छुपाते..
ये दर्र सा चेहरा,
सारे मतलबी है आसपास..
यकीन से कह रहा
शरम से डूबेंगे सारे..
कलाम से मेरी ये आज,
बेटा इक़बाल का हैं..
लिखता समंदर से गहरा
मेहनत है मेरी तो..
फल मैं इनको क्यू डू,
रहमत कर तेरी तो..
लायक मैं खूद भी नही हू
यकीन ही नही जो मिला..
खुदा तेरे दर से,
यकीन है दुआ के बदले..
यह सब कर रहा तू
चूमते हाथ है..
बनके यह मुरीद सारे,
झूमते साथ यह..
सुन के मेरे शेर सारे
ढेर सारे जो..
खड़े थे खिलाफ मेरे,
आया शेर अब..
भागेंगे यह भेद सारे
गुरूर नही मैं..
सर झुक के चलता हू,
कूर नही मैं..
बंडो से नही डरता हू
दुश्मनो को खुश करदो..
देके ये खबर,
ज़िंदा बाहर मैं..
अंदर रोज मरता हू
निकला लेके कंधे पे..
कितने बॉज़ मेरे,
सदके जान के..
निकलते है रोज मेरे
उतारा गया था जॅलील..
करके Stage से,
आज Fan-fest लगते है..
Shows मेरे
जल रहे है काग़ज़..
देख मेरी लिखाई को,
दर्द लेके लड़ता..
जैसे कोई सिपैई हो,
मैं भूलु कैसे वो..
भूखी मा की सिसकियाँ,
उसके बाद नही याद..
सुकून से एक रोटी खाई हो
मैं शायर जो..
शेर सारे सवा रखता,
मैं हूँ वो मर्ज़ जो..
खुद की ही डॉवा रखता
डॉवा है मेरी सजदे मे..
खुद को हील करता,
गवाह है खुदा मेरा..
कैसे सबसे डील करता
खड़ा बुलंदी पे..
खुदा का लाख शुक्र करू,
अमल ख़ास नही तो..
आख़िरत की फ़िक्र करू
उसको पसंद है..
शायद मेरा टूटना
मुसीबत भेजता है
ताकि उसका ज़िक्र करू
मुनावर लूटा हर बार
पर वो सीखता नही है
मुनावर टूटा कई बार
टूटा दिखता नही है
नसीबे लिख दिए है
दर्द लिखने वेल ने
मुनावर जैसा काग़ज़ो पे
दर्द फिर भी कोई लिखता नही है
सोचे हरा इतनी बार
फिर भी रुकता नही है
बेचु दर्द, के ईमान
मुझ से बिकता नही है
रुत बैठा यहा
देख खुद के साए से
कर्दे माफ़, क्या अफ़सोस
तुझको दिखता नही है